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Gautam Adani : जिस कॉलेज ने एडमिशन देने से किया था इनकार, उसी जगह बुलाया बतौर गेस्ट लेक्चरर

Gautam Adani ने जय हिंद कॉलेज में टीचर्स डे पर लेक्चर दिया, जहाँ उन्हें किसी समय पर दाखिला नहीं मिला था। उन्होंने अपने जीवन के अनुभव साझा किए, जिसमें 16 साल की उम्र में मुंबई आना और हीरा व्यापारी के रूप में काम करना शामिल था।

नई दिल्लीSep 07, 2024 / 12:48 pm

Devika Chatraj

Gautam Adani : देश के जाने-माने उद्योगपति गौतम अडानी की कई कहानियां सुनी होगीं लेकिन हाल ही में उन्होंने अपने जीवन का एक ऐसा किस्सा शेयर किया जिसे सुन कर आप भी काफी मोटिवेटेड फील करेंगे। आज एक ऐसी कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं जो उनके जय हिंद कॉलेज के एडमिशन से जुड़ा हुआ है। 1970 के दशक में शिक्षा के लिए मुंबई के एक कॉलेज में पढ़ने के लिए आवेदन किया था। लेकिन, कॉलेज ने उनके आवेदन को रिजेक्ट कर दिया। उसके बाद उन्‍होंने फिर आगे की पढ़ाई नहीं की और बिजनेस की ओर बढ़ गए और आज उनका नाम दुनिया के अमीरों लोगों में शुमार है। अब इतने साल बाद टीचर्स डे पर उसी कॉलेज ने उन्‍हें लेक्‍चर देने के लिए बुलाया था।

छात्र संघ के चेयरमैन ने किया खुलासा

छात्र संघ के चेयरमैन विक्रम नानकानी ने बताया कि उन्होंने (अडानी) 16 साल की उम्र में मुंबई चले गए थे। उन्होंने 1977 या 1978 में शहर के जय हिंद कॉलेज में प्रवेश के लिए आवेदन किया, उनके बड़े भाई विनोद भी उसी कॉलेज में पढ़ते थे लेकिन फिर भी उनका एप्‍ल‍िकेशन खारिज कर दिया गया था। कॉलेज में सिलेक्शन नहीं होने के बाद उन्‍होंने अपना काम करना शुरू कर दिया और एक वैकल्पिक करियर अपनाया। दो साल तक मुंबई में हीरा छांटने का काम किया, जिसके बाद वे गुजरात चले गए।

कब शुरू की कंपनी?

गौतम अडानी ने 1998 में जिंसों में व्‍यापार करने वाली अपनी कंपनी शुरू की थी। अगले 2.5 साल में उनकी कंपनियों ने बंदरगाह, खदान, इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर, बिजली, सिटी गैस, रिन्‍यूवेबल एनर्जी, सीमेंट और डेटा सेंटर जैसे सेक्‍टर्स में कदम रखा। आज गौतम अडानी का दुनिया में बड़ा नाम है।

बाउंड्रीज़ तोड़ कर बढ़ना होगा आगे

‘ब्रेकिंग बाउंड्रीज़: द पावर ऑफ पैशन एंड अनकन्वेंशनल पाथ्स टू सक्सेस’ पर बोलते हुए गौतम अडानी ने कहा कि जब वे 16 साल के थे तब उन्होंने अपनी पहली सीमा को तोड़ने का फैसला किया था। उन्होंने कहा कि मुझे पढ़ाई-लिखाई छोड़कर बिजनेस की ओर बढ़ना था, कई लोग पूछते थे, ‘‘आप मुंबई क्यों चले गए? आपने अपनी शिक्षा पूरी क्यों नहीं की?’ उन्‍होंने बताया कि मुझे इस शहर में कुछ करने का साहस मिला था। कारोबार के लिए मुंबई मेरा ट्रेनिंग प्‍लेस था। यहां पर मैंने व्‍यापार करना सीखा था। यह मुंबई ही है जिसने मुझे बड़ा सोचने के लिए सिखाया। आपको अपनी लाइफ में पहले अपनी सीमाओं से परे सपने देखने का साहस करना होगा।

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