हालांकि यह केवल तभी दंडनीय है, जब झगड़ा सार्वजनिक स्थान पर हो। उन्होंने कहा, सार्वजनिक और निजी के इस द्वंद्व ने कई साल से हमारे कानूनों को नारीवादी और आर्थिक आलोचना का आधार बनाया है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वास्तव में अस्तित्व में है, इसके लिए दोनों स्थानों पर इसका अस्तित्व होना चाहिए।
गृहिणि को सेवा का पारिश्रमिक नहीं…
सीजेआइ चंद्रचूड़ ने कहा कि निजी स्थान के रूप में घर एक गृहिणी के लिए आर्थिक गतिविधि का स्थान है, जहां उसकी सेवा के लिए पारिश्रमिक नहीं दिया जाता। न्याय की भावना तब विकसित होती है, जब हम अपने दिमाग को उस धारणा से परे खोलने के लिए तैयार और इच्छुक होते हैं, जिसे समाज ने हमें रखना सिखाया है।
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वेंकटरमैया की बेटी हैं बी.वी. नागरत्ना
जस्टिस वेंकटरमैया 1989 में सीजेआइ थे। उनका 1997 में निधन हो गया। उनकी बेटी जस्टिस बी.वी. नागरत्ना सुप्रीम कोर्ट की जज हैं। वह देश की पहली महिला प्रधान न्यायाधीश बनने की कतार में हैं।