सिर्फ तीन फीसदी आबादी, 52 साल राज
दरअसल ओडिशा में पटनायक कर्णम समुदाय से आते हैं जिसकी आबादी प्रदेश में मात्र दो-तीन फीसदी के करीब है। यह समुदाय बंगाल, बिहार व अन्य राज्यों में कायस्थ समुदाय के समकक्ष है जिसका परंपरागत कार्य सत्ता के हिसाब-किताब व प्रशासनिक कार्य करना रहा है। कर्णम समुदाय ओडिशा के अलावा पड़ौसी आंध्र प्रदेश में भी प्रभावी है। इस समुदाय के लोग पटनायक के अलावा मोहंती, दास और चौधरी सरनेम भी लगाते हैं। आजादी के बाद कर्णम समुदाय के पांच मुख्यमंत्रियों ने यहां कुल 52 साल तक प्रदेश का नेतृत्व किया है। कांग्रेस और गैर-कांग्रेस दोनों दलों में ही कर्णम समुदाय के मुख्यमंत्री बने। मौजूदा दौर में सीएम नवीन पटनायक के अलावा विपक्षी नेतृत्व में भी पटनायक का दबदबा है। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष शरत पटनायक और इसकी चुनाव समन्वय समिति के प्रमुख पूर्व मुख्य सचिव बिजय पटनायक इसी राजनीतिक जाति से हैं।आदिवासी-किसान-ओबीसी बहुल, लेकिन नेतृत्व नहीं
प्रदेश में आदिवासी और किसान समुदाय की बहुलता है लेकिन उन्हें राजनीतिक नेतृत्व का ज्यादा मौका नहीं मिला। आदिवासी समुदाय की यहां करीब 22.8 और अनुसूचित जाति की करीब 17 फीसदी आबादी है। इसके बावजूद दो आदिवासी मुख्यमंत्री हेमानंद बिस्वाल और गिरधर गोमांग का चार बार में कुल कार्यकाल मात्र 14 महीने रहा। यहां तक कि करीब 50 फीसदी आबादी वाले ओबीसी समुदाय से मुख्यमंती नीलमणि राउतराय दो साल मुख्यमंत्री रहे। प्रदेश में मौजूदा भाजपा प्रमुख मनमोहन सामल और प्रमुख चेहरे धर्मेंद्र प्रधान ओबीसी समुदाय से हैं। प्रदेश में ब्राह्मणों की आबादी करीब नौ फीसदी तो क्षत्रियाें की करीब दो फीसदी है।ये हैं कर्णम मुख्यमंत्री
नबकृष्ण चौधरी – 6 सालविश्वनाथ दास- 1 साल
बीजू पटनायक – 7 साल
जेबी पटनायक – 14 साल
नवीन पटनायक – 24 साल(जारी)