सर्कुलर जारी किया जाता है
सभी मंत्रालयों, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा सर्कुलर जारी किया जाता है, इसके बाद राजस्व विभाग और दूसरे अधिकारियों द्वारा इसकी समीक्षा की जाती है और फिर वित्त मंत्रालय के पास भेजा जाता है। संपूर्ण बजट घाटे का पता लगाने के लिए वित्त मंत्रालय द्वारा अनुमानित राजस्व और खर्च की तुलना की जाती है। फिर नियमानुसार बजट घाटे का अवलोकन करने के लिए मुख्य आर्थिक सलाहकार से सलाह ली जाती है और अंत में वित्त मंत्रालय विभिन्न मंत्रालयों और विभागों को बजट आवंटित करता है।
प्रधानमंत्री के साथ भी होती है चर्चा
किस मंत्रालय को कितना बजट देना चाहिए, या संबंधित मंत्रालय ने कितना डिमांड किया है इस बारे में वित्त मंत्री प्रधानमंत्री के साथ चर्चा करेंगी। हर बिंदु पर चर्चा करने के बाद मंजूरी के लिए इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है। सभी प्रक्रियाओं के गुजरने के बाद बजट आखिरकार वित्त मंत्री द्वारा लोकसभा में पेश किया जाता है। पीएमओ और वित्त मंत्रालय के शीर्ष नौकरशाहों द्वारा बजट का ड्राफ्ट तैयार किया जाता है।
पेश होने के चार-पांच महीने पहले शुरू हो जाती है प्रक्रिया
अगर आपके यह सोचते हैं कि सरकार कुछ दिनों में या एक-दो हफ्ते में बजट तैयार कर पेश कर देती है तो बता दें कि बजट तैयार करने की प्रक्रिया 4-5 महीने पहले शुरू हो जाती है। सबसे पहले वित्तमंत्रालय के टॉप लेवल अफसर दूसरे मंत्रालयों के बड़े अफसरों के साथ चर्चा करते हैं।
विशेषज्ञों के द्वारा बजट के हर बिंदु को लेकर व्यापक चर्चा होती है। बजट की प्रिटिंग के दौरान इसमें शामिल अफसरों को अपने परिवार के सदस्यों तक से बातचीत करने की इजाजत नहीं होती है। इसे पूरी तरह गोपनीय रखा जाता है। इस दौरान अफसरों के रहने के लिए नॉर्थ ब्लॉक में एक खास जगह तय है। जहां किसी के आनेजाने की इजाजत नहीं होती है। इसके लिए सुरक्षा के खास प्रबंध होते हैं।
क्या मकसद क्या होता है?
आय के साधन बढ़ाते हुए अलग-अलग स्कीम के लिए फंड रिलीज करना। देश के आर्थिक विकास को गति देने के लिए प्लान तैयार करना। लोगों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए तथा गरीबी और बेरोजगारी पर अंकुश लगाने के लिए योजनाएं बनाना। इसके अलावा आधारभूत ढांचे के निर्माण के लिए पर्याप्त फंड जारी करना, जिसमें रेल, बिजली, सड़क, विद्यालय जैसे सेक्टर शामिल हैं।