राष्ट्रपति के अभिभाषण और आम बजट की प्रस्तुति के चलते इस बार दोनों सदनों में शून्य काल को स्थगित किया गया है। 31 जनवरी को राष्ट्रपति सदन के दोनों सदनों को संबोधित किया।
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बजट सत्र शुरू होने से पहले राज्यसभा ने अपने सदस्यों के लिए आचार संहिता भी जारी कर दी है। सभापति वैंकेया नायडू की ओर से जारी आचार संहिता के तहत कहा गया है कि राज्यसभा के सदस्यों को जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए अपनी जिम्मेदारी को स्वीकार करना चाहिए।
इसके साथ ही आचार संहिता में ये भी कहा गया है कि, सदस्यों को संविधान, कानून, संसदीय संस्थाओं सबसे ऊपर रखना चाहिए।
बता दें कि संसद के दोनों सदनों में शून्यकाल की कार्यवाही के दौरान ही सवाल पूछे जाते हैं। शून्यकाल भी प्रश्नकाल की तरह ही टाइम सेगमेंट है। इसमें सांसद अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा करते हैं।
दोनों सदनों में इसका वक्त अलग-अलग रहता है। लोकसभा में कार्यवाही का पहला घंटा प्रश्नकाल होता है और उसके बाद का वक्त जीरो आवर यानी शून्यकाल रहता है।
इसी तरह राज्यसभा की बात करें तो शून्यकाल से सदन की कार्यवाही की शुरुआत होती है और इसके बाद प्रश्नकाल होता है।
शून्यकाल के दौरान सांसद बगैर तय कार्यक्रम के महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार व्यक्त करते हैं। लोकसभा में शून्यकाल तब तक खत्म नहीं होता, जबतक लोकसभा के उस दिन का एजेंडा खत्म नहीं हो जाता।
बता दें कि इस बार वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण कोरोना काल में दूसरी बार बजट पेश करेंगी। जबकि अब तक का उनका ये चौथा बजट होगा। खास बात यह है कि इस बार बजट से पहले देश कोरोना की तीसरी लहर से जूझ रहा है। ऐसे में चरमराई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बजट से काफी उम्मीदें हैं।
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