लोकसभा चुनाव 2024 का नतीजा आ चुका है। इस बार देश की जनता ने किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं दिया है। हालांकि बीजेपी के नेतृत्व वाली NDA गठबंधन बहुमत का आंकड़ा पार करने में कामयाब हो गई है। ऐसे में सरकार बनाने जा रही बीजेपी के लिए अभी से मुश्किलें खड़ी हो गई है। दरअसल, NDA को अपना समर्थन देने के बदले बिहार के जनता दल यूनाईटेड और आंध्र प्रदेश की तेलगू देशम पार्टी मोदी कैबिनेट में अहम मंत्रालय चाहती है। 12 सीटें जीतने वाले नीतीश कुमार के दबाव से भाजपा जहां टेंशन में हैं। वहीं सूत्रों का कहना है कि दबाव से निपटने के लिए भाजपा ने छोटे दलों और निर्दलीय सांसदों से बात करना शुरू कर दिया है।
गृह-वित्त समेत इन मंत्रालयों को देने से बीजेपी का साफ इंकार सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, एनडीए की बैठक में सहयोगी दलों को भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि सीसीएस वाले यानी सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति के तहत आने वाले 4 मंत्रालय होम, डिफेंस, वित्त और विदेश किसी को भी नहीं दिया जाएगा। इसके साथ ही बीजेपी सड़क एवं परिवहन मंत्रालय और रेल मंत्रालय के साथ ही लोकसभा स्पीकर का पद भी किसी को नहीं देना चाहती। इसके पीछे कारण बताया जा रहा है कि मोदी सरकार के 10 सालों के दौरान नितिन गडकरी ने इस मंत्रालय में शानदार काम किया है। उन्होंने कई एक्सप्रेसवे बनाए और हाईवेज की स्थिति भी सुधरी है। इसलिए भाजपा चाहती है कि रिपोर्ट कार्ड मजबूत करने वाले मंत्रालय को अपने पास ही रखा जाए।
रेल और अध्यक्ष पद देने से बीजेपी क्यों कर रही इंकार जानकार मानते हैं कि पिछले 10 साल के दौरान जैसे सड़क एवं परिवहन मंत्रालय में परिवर्तन देखने को मिला। ठीक उसी तरह नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में रेलवे ने कई अहम बदलाव किए हैं। वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें चलाने, पटरियों के दोहरी और विद्युतीकरण के साथ ही कई अहम बदलाव किए गए है। इसलिए भाजपा इस मंत्रालय को भी किसी सहयोगी दल को नहीं देना चाहती। वहीं, लोकसभा स्पीकर के पद को न देने के पीछे कारण बताया जा रहा है कि कभी किसी सहयोगी दल के समर्थन वापस लेने की स्थिति में उसका रोल अहम हो जाता है। इसलिए टीडीपी की नजर स्पीकर के पद पर है ताकि वह सत्ता की कुंजी पकड़ ले। भाजपा इस पद को भी देने से हिचक रही है।
सहयोगियों को ये मंत्रालय देना चाहती है बीजेपी भाजपा चाहती है कि मोदी 3.0 में सहयोगियों को फूड प्रोसेसिंग, भारी उद्योग, ऊर्जा जैसे मंत्रालय सहयोगियों को दिए जाएं। वे मंत्रालय अपने पास ही रखे जाएं, जो सरकार के लिए रिपोर्ट कार्ड को दुरुस्त रखने को जरूरी हैं। क्योंकि सरकार के गठन से पहले ही जेडीयू ने मोदी सरकार 2.0 के दौरान लिए गए अग्निवीर जैसी अहम स्कीमों में बदलाव की मांग कर दी है।