भाजपा ने छत्तीसगढ़ में आदिवासी सीएम, मध्यप्रदेश में ओबीसी सीएम और राजस्थान में सामान्य वर्ग का सीएम देकर एक साथ सभी वर्गों का ध्यान रखने की मंशा जताई है। पुराने और अनुभवी राजनेताओं को यह संकेत गया कि नई पीढ़ी के लिए रास्ता छोड़ दें।
भाजपा ने 2024 में 400 पार का दिया नारा
पिछले चुनाव में अकेले दम पर 300 सीट पार करने वाली भाजपा ने 2024 में 400 पार का नारा दिया है। यह देश में नई राजनीति से ही संभव है। तीनों राज्यों में रमन सिंह, शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा राजे जैसे दिग्गज नेताओं की जगह नए चेहरों को मौका देकर पार्टी ने ‘कास्ट’ के साथ-साथ ‘का़डर’ को भी संदेश दिया कि पार्टी के लिए समर्पित कार्यकर्ता की किसी भी समय लॉटरी लग सकती है। आखिरी कतार में बैठने वाला कार्यकर्ता भी मुख्यमंत्री बन सकता है। यह निर्णय लोकसभा चुनाव से पहले खांटी कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने वाला कहा जा रहा है।
ओबीसी सहित सभी जातियों का गुलदस्ता
सीएसडीएस की एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा को 2009 के मुकाबले 2019 में दोगुना 44 प्रतिशत ओबीसी मत हासिल हुए थे। इस समय पार्टी के पास इस वर्ग के 85 सांसद और 27 प्रतिशत विधायक हैं। केंद्र में 27 ओबीसी चेहरे मंत्री भी हैं। अब मध्य प्रदेश में भी ओबीसी मुख्यमंत्री बनाकर पार्टी ने देश की 45 से 50 प्रतिशत ओबीसी आबादी में अपनी पकड़ और मजबूत बनाने की कोशिश की है। यह यूपी और बिहार में सपा और राजद के यादव वोटबैंक को पाले में लाने की कवायद भी है।
तीन राज्यों के सहारे वोटरों को लुभाने की कोशिश
भाजपा ने राजस्थान में ब्राह्मण भजनलाल शर्मा को सीएम, राजपूत दीया कुमारी को डिप्टी सीएम, दलित प्रेमचंद बैरवा को भी डिप्टी सीएम और सिंधी वासुदेव देवनानी को स्पीकर बनाकर राज्य में जातियों को सांधने की कोशिश की है। वहीं, मध्य प्रदेश ओबीसी समुदाय से आने वाले मोहन यादव को मुख्यमंत्री, ब्राह्मण समाज से आने वाले राजेंद्र शुक्ला को डिप्टी सीएम, दलित समुदाय से आने वाले जगदीश देवड़ा को भी डिप्टी सीएम, राजपूत समाज से आने वाले नरेंद्र सिंह तोमर को स्पीकर बनाकर यूपी, बिहार, हरियाणा और राजस्थान के यादवों को सांधने की कोशिश की है।
वहीं, छत्तीसगढ़ में सरगुजा से आने वाले आदिवासी विष्णुदेव साय को राज्य की कमान सौंप कर देश भर के आदिवासी समुदाय को अपने पक्ष में करने की कोशिश की है। इसके अलावा पार्टी ने अपने पारंपरिक वोटर ब्राह्मण समुदाय के विजय शर्मा को डिप्टी बनाकर कैडर को संदेश को कोशिश की है। इसके अलावा डिप्टी सीएम ओबीसी अरुण साव के सहारे पिछ़ड़ों और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को स्पीकर बनाकर वोट समीकर को सांधा है।
देश में रिजर्व है इतनी सीटें
बता दें कि हमारे देश की लोकसभा में एससी के लिए 84 एसटी के लिए 47 सीटें रिजर्व है। इसके अलावा भाजपा के पास कुल – 85 सांसद ओबीसी समाज से आते है। वहीं, पार्टी के पास कुल 365 एमएलए और 65 एमएलसी ओबीसी है। वहीं बीजेपी ने अब तक 68 मुख्यमंत्री बनाए हैं, जिनमें 21 ओबीसी रहे। केंद्र की सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा भी दिया।