यह मशरूम खाने योग्य नहीं है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह जहरीला होता है। सर्वेक्षण टीम में कासरगोड संभागीय वन अधिकारी के. अशरफ, डॉ. जिनु मुरलीधरन, डॉ. संतोष कुमार कूकल, केएम अनूप, सचिन पाई और पूर्णा सजाली सहित कई वैज्ञानिक शामिल थे।
वनस्पतिशास्त्री दिलीप कुमार राई ने बताया कि यह मशरूम कोशिकाओं में रासायनिक प्रतिक्रिया के कारण रात में हरा चमकता है। ये उष्णकटिबंधीय क्षेत्र के वातावरण में दिखाई देते हैं। समृद्ध नम वातावरण उनके विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है।