बता दें कि आज ही आरसीपी सिंह पर मंत्री रहते हुए अकूत संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगा था। जिसके बाद माना जा रहा था कि उन्हें पार्टी से निकाला जा सकता है। हालांकि पार्टी से निकाले जाने से पहले आरसीपी सिंह ने स्वयं पत्र जारी करते हुए जदयू से इस्तीफा दे दिया। आरसीपी ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। अपने इस्तीफे से पहले आरसीपी सिंह ने जेदयू द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब भी दिया।
जो शीशे के घर में रहते हैं वो दूसरों के घर पर पत्थर नहीं फेंका करते-
बताते चले कि जेदयू ने आरसीपी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाकर स्पष्टीकरण की मांग की थी। जदयू ने आरसीपी सिंह से यह पूछा था कि 2013-2022 के बीच इतनी संपत्ति उन्होंने कैसे बनाई? अपनी ही पार्टी द्वारा लगाए गए आरोपों पर आरसीपी सिंह ने सफाई दी है। आरसीपी ने चेतावनी देते हुए कहा कि जो लोग शीशे के घर में रहते हैं वो दूसरों के घर पर पत्थर नहीं फेंका करते।
आरसीपी का तंज- पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष लिखने में शर्म लग रही थी क्या
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि इससे पहले भी उन पर आरोप लगाए गए थे, लेकिन हुआ क्या। आरसीपी ने कहा कि जिसने भी उन्हें नोटिस भेजा उसने मेरे नाम के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री लिखा हैं। सवालिया लहजे में उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष बोलने या लिखने में उन्हें शर्म लग रही था क्या? बता दें कि जदयू के मौजूदा अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह से पहले आरसीपी सिंह ही जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे।
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लंबे समय से नीतीश और आरसीपी में चल रही थी अनबन-
जदयू की ओर से आरसीपी सिंह को बिहार जदयू अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने दिया था। इसमें कहा गया है कि सिंह और उनके परिवार के नाम पर 2013-2022 से पंजीकृत अचल संपत्तियों के विवरण में विसंगतियां हैं। इसलिए वे जल्द से जल्द इस नोटिस का जवाब दें। उल्लेखनीय हो कि आरसीपी सिंह और सीएम नीतीश कुमार के बीच लंबे समय से अनबन चल रही है। पार्टी ने उन्हें दूसरी बार राज्यसभा भी नहीं भेजा था।