वहीं वन विभाग के कर्मचारियों और स्थानीय आदिवासियों ने इस हाथी का नाम भोगेश्वर रखा था। क्योंकि उसे अक्सर बांदीपुर और नागरहोल के घने जंगलों के बीच स्थित भोगेश्वर मंदिर के पास देखा जाता था। अधिकारियों का मानना है कि इसकी मौत तीन-चार दिन पहले हुई है। काबिनी बैकवाटर में यह हाथी पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण हुआ करता था।
भोगेश्वर को एशिया का सबसे लंबे दांतों वाला हाथी माना जाता था। आमतौर पर सामान्य हाथी के दांत का साइज़ अधिक से आधिक 4 फ़ीट लम्बा होता है लेकिन मिस्टर काबिनी के दांत 8 फ़ीट लंबे थे। अपने लंबे दांत की वजब से मिस्टर काबिनी अपने सिर जमीन में झुका नहीं पाता था।
बताया जा रहा है कि मिस्टर काबिनी के पोस्टमार्टम के दौरान उसके दांतों को निकाल लिया गया है, जिसके बाद उसका अंतिम संस्कार किया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी मौत की वजह प्राकृतिक कारणों को बताया गया। उसके शरीर पर चोट के निशान नहीं थे और उसके दांत भी बिल्कुल ठीक थे। मिस्टर काबिनी के दांतों को मसूर में मौजूद अरण्य भवन में म्युसिम में रखने के लिए भेजा गया है। वहीं भविष्य में उसके दांतों को प्रदर्शनी में रखा जा सकता है।