पीठ ने कहा कि डिप्टी सीएम विधायक और मंत्री होता है। उसे डिप्टी सीएम इसलिए कहा जाता है, ताकि सत्ताधारी पार्टी या गठबंधन के किसी दल के नेता को सम्मान दिया जा सके। कई राज्यों में उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति की परंपरा चल रही है। पीठ ने कहा कि डिप्टी सीएम भी अन्य मंत्रियों की तरह कैबिनेट की बैठकों में हिस्सा लेते हैं और उनके मुखिया सीएम ही होते हैं।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने दलील दी थी कि कई राज्यों ने यह गलत परंपरा शुरू की है। संविधान में डिप्टी सीएम जैसा कोई पद नहीं है। फिर भी नेताओं को यह पद दिया जा रहा है। अधिवक्ता का कहना था कि ये नियुक्तियां गलत हैं। ऐसी नियुक्ति मंत्रियों के बीच समानता के सिद्धांत के भी खिलाफ हैं। इस तर्क के जवाब में पीठ ने कहा, आप किसी को डिप्टी सीएम कहते हैं तो वह मंत्री ही होता है।
देश के 14 राज्यों में इस समय 26 उपमुख्यमंत्री हैं। आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा पांच नेताओं को उपमुख्यमंत्री पद दिया गया है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान समेत कई राज्यों में दो-दो उपमुख्यमंत्री हैं। सुप्रीम कोर्ट के एक अधिवक्ता के मुतबिक संविधान में राज्यों के मुख्यमंत्री और मंत्रियों के बारे में अनुच्छेद 164 में प्रावधान है, लेकिन उपमुख्यमंत्री पद का जिक्रनहीं है। उपमुख्यमंत्री सिर्फ सीएम की तरफ से दिए गए विभाग या मंत्रालय देख सकते हैं। उनकी सैलरी, अन्य भत्ते और सुविधाएं कैबिनेट मंत्री के बराबर होती हैं।