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Lakhpati Didi Yojna: आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा हैं ‘लखपति दीदियां’, राजस्थान, बिहार, बंगाल, यूपी और अन्य राज्यों में क्या है हाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने वर्ष 2023 में दो करोड़ महिलाओं की सालाना आमदनी न्यूनतम 1 लाख रुपये करने की बात कही थी। इसके बाद लखपति दीदी योजना (Lakhpati Didi Yojna) चलाई गई। इससे सबसे ज्यादा आंध्र प्रदेश को लाभ हुआ है। आइए जानते हैं कि इस योजना का देश के अन्य राज्यों में क्या असर हुआ है?

Feb 22, 2024 / 01:23 pm

स्वतंत्र मिश्र

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ग्रामीण विकास मंत्रालय के पास उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि 1 लाख रुपये की न्यूनतम वार्षिक आय अर्जित करने वाली ‘लखपति दीदियों’ की संख्या सबसे ज्यादा आंध्र प्रदेश में है। यहां 13.65 लाख से ज्यादा महिलाएं सालाना एक लाख रुपये से ज्यादा कमाती हैं। मंत्रालय के अनुसार महिला स्व-सहायता समूह के सदस्यों की संख्या 1 करोड़ को पार कर गई है। आंध्र प्रदेश के बाद बिहार और पश्चिम बंगाल का नंबर आता है। बिहार में ‘लखपति दीदियों’ की संख्या 11.16 लाख और पश्चिम बंगाल 10.11 लाख हैं। सबसे कम ‘लखपति दीदियों’ वाले राज्यों में केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप में एक भी महिला की कमाई एक लाख रुपये सालाना नहीं हो पाई है। इसके बाद अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 242 और गोवा में 206 हैं।

3 करोड़ महिलाओं को लाभान्वित करना उद्देश्य

वर्ष 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बजट भाषण में कहा था कि देश के गांवों की 2 करोड़ महिलाओं को लखपति बनाना उनका सपना है। इसे बाद ‘लखपति दीदी’ योजना शुरू की गई थी। इस साल के बजट भाषण में सरकार ने लक्ष्य बढ़ाकर 3 करोड़ कर दिया। इस योजना के तहत लक्ष्य हासिल करने की समयसीमा 3 साल तय की गई है। इस योजना को दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत क्रियान्वित किया जा रहा है। इसमें महिलाओं को प्रशिक्षण, उद्यम वित्तपोषण, बैंक और क्रेडिट लिंकेज में सहायता करना शामिल है ताकि वे कृषि और गैर-कृषि दोनों क्षेत्रों में प्रति वर्ष 1 लाख रुपये की स्थायी वार्षिक आय अर्जित कर सकें। ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने 10 करोड़ से अधिक परिवारों का हवाला दिया जिन्हें सरकार के “महिला नेतृत्व वाले विकास” के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए एसएचजी में शामिल किया गया था।

उत्तर प्रदेश और राजस्थान में गति धीमी

अगर कुछ अन्य राज्यों के आंकड़ों पर नजर डालें तो उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में 6.68 लाख ‘लखपति दीदियां’ हैं और गुजरात में यह संख्या 4.94 लाख, तमिलनाडु में 2.64 लाख, केरल में 2.31 लाख है। मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में यह 9.54 लाख, महाराष्ट्र में 8.99 लाख और राजस्थान में 2.02 लाख है।

केंद्रशासित प्रदेशों का अच्छा है परफॉरमेंस

दिलचस्प बात यह है कि लद्दाख जैसे छोटे केंद्र शासित प्रदेश में 51,723 ‘लखपति दीदी’ हैं, जबकि जम्मू-कश्मीर में इस श्रेणी में 29,070 महिलाएं हैं। पूर्वोत्तर में, असम 4.65 लाख महिलाओं के साथ अग्रणी है, इसके बाद मेघालय (33,856), मिजोरम (16087), मणिपुर (12499) और नागालैंड (10,494) हैं।

एसएचजी के एनपीए में आई कमी

आंध्र प्रदेश पहले एसएचजी की संख्या के मामले में देश में चौथे स्थान पर था और महाराष्ट्र 15.15 लाख के साथ सबसे आगे था। उसके बाद पश्चिम बंगाल (14.44 लाख) और बिहार (11.1 लाख) का नंबर आता था। मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि 2013-14 से एसएचजी द्वारा लगभग 6.96 लाख करोड़ रुपये का बैंक ऋण प्राप्त किया गया है। 2014 में एसएचजी का एनपीए 9.58% था, जो घटकर 1.8% रह गया है।

बैंक सखियों के नेटवर्क में विस्तार की योजना

मंत्रालय की योजना “बैंक सखियों” (1.22 लाख) के नेटवर्क का विस्तार करने और देश की 2.7 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों में से प्रत्येक के लिए 1 को तैनात करने की है ताकि अधिक से अधिक महिलाओं को महत्वाकांक्षी “लखपति दीदी” के साथ जोड़ा जा सके। यूपी में बीसी सखियों की अधिकतम संख्या 42666 है। इसके बाद मध्य प्रदेश (10850) और राजस्थान (10559) हैं। सरकार अधिक संख्या में एसएचजी महिलाओं को ‘बैंक सखी’ के रूप में नियुक्त करने की भी योजना बना रही है जो लाभार्थियों को दस्तावेज़ीकरण और ऋण सुविधा में सहायता करने के लिए बैंक शाखा में बैठेंगी। उनमें से 46000 से अधिक अभी 56764 बैंकों में सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।

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