वादों को भुला दिया गया
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज़ादी के समय भारत का विभाजन धर्म के आधार पर किया गया और उस समय भीषण दंगे हुए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बंगलादेश में रहने वाले करोड़ों हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन और ईसाई समुदाय के लोग अपनी वेदना नहीं भूल सकते। उन्होंने कहा कि उस वक्त विभाजन का फैसला करते हुए तत्कालीन सरकार ने वादा किया था कि पड़ोसी देशों से आने वाले हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन और ईसाई संप्रदायों के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। शाह ने कहा कि चुनाव आते-आते तत्कालीन सरकार के नेता इन वादों से मुकरते गए और 1947, 1948 और 1950 में किए गए इन वादों को भुला दिया गया। उन्होंने कहा कि उस समय की सरकार ने इन लोगों को इसी लिए नागरिकता नहीं दी कि इससे उनका वोट बैंक नाराज़ हो जाएगा। उन्होंने कहा कि तुष्टिकरण की नीति के कारण इन लाखों-करोड़ों लोगों को नागरिकता से वंचित रखा गया और इससे बड़ा पाप कोई नहीं हो सकता।
कानून लोगों के लिए होता है, न कि लोग कानून के लिए होते हैं
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि कानून लोगों के लिए होता है, न कि लोग कानून के लिए होते हैं। उन्होंने कहा कि हमने 2014 में वादा किया था कि हम सीएए लाएंगे और 2019 में मोदी सरकार इस कानून को लेकर आई। इस कानून के माध्यम से, करोड़ों हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, जिन्हें न्याय नहीं मिला था, उन्हें न्याय देने की शुरूआत हुई। ये कानून 2019 में पारित हुआ था लेकिन उसके बाद भी सबको भड़काया गया कि इससे मुस्लिमों की नागरिकता चली जाएगी। गृह मंत्री ने स्पष्ट किया कि इस कानून में किसी की नागरिकता लेने का कोई प्रावधान नहीं है और ये नागरिकता देने का कानून है। हमारे ही देश के लोग हमारे ही देश में निराश्रित बनकर रह रहे हैं, इससे बड़ा दुर्भाग्य और विडंबना क्या हो सकती है। कई सालों तक तुष्टिकरण की नीति के कारण ये नहीं हो सका था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 में इस कानून को लाने का फैसला लिया।
शाह ने कहा कि 2019 में कानून पारित होने के बाद भी 2024 तक इन परिवारों को नागरिकता नहीं मिली क्योंकि देश में दंगे कराए गए और अल्पसंख्यकों को भड़काया गया। उन्होंने कहा कि सीएए को लेकर देश में अफवाहें फैलाई गईं। इस कानून से किसी की नागरिकता नहीं जाती और ये हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध शरणार्थियों को नागरिकता देने का कानून है। आज भी कुछ राज्य सरकारें लोगों को गुमराह कर रही हैं। उन्होंने देशभर के शरणार्थियों से अपील की कि वे नागरिकता प्राप्त करने के लिए बेझिझक आवेदन करें और इससे उनकी नौकरी, घर आदि पहले की तरह बरकरार रहेंगे।