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ISRO के जोधपुर और हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने बनाया राम सेतु का मानचित्र, लोग बोले- अद्भुत!

ISRO made a map of Ram Setu: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की इकाई राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी) के जोधपुर और हैदराबाद स्थित केंद्रों के वैज्ञानिकों ने नासा के उपग्रह का प्रयोग कर व्यापक अध्ययन रिपोर्ट तैयार की है।

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Ram Setu: भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने अमरीकी उपग्रह आइसीईसैट-2 के आंकड़ों का उपयोग कर राम सेतु (एडम्स ब्रिज) की संरचना के जटिल विवरणों को समझने की कोशिश की है। शोधकर्ताओं ने समुद्र में 40 किलोमीटर गहराई तक पहुंचने में सक्षम उपग्रह के फोटोन (वाटर-पेनेट्रेटेड फोटॉन) कणों का उपयोग कर राम सेतु का विस्तृत मानचित्र तैयार किया। उनका मानना है कि राम सेतु के बारे में गहन जानकारी देने वाली यह पहली रिपोर्ट है, जो इसकी उत्पत्ति के बारे में समझ बढ़ाएगी।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की इकाई राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी) के जोधपुर और हैदराबाद स्थित केंद्रों के वैज्ञानिकों ने नासा के उपग्रह का प्रयोग कर व्यापक अध्ययन रिपोर्ट तैयार की है। उन्होंने कहा है कि भारत और श्रीलंका को जोडऩे वाला यह सेतु भारत के धनुषकोडी से श्रीलंका के तलाईमन्नार द्वीप तक 29 किलोमीटर लंबा है। यह सेतु 99.98 प्रतिशत जलमग्न है। राम सेतु के दोनों तरफ लगभग 1.5 किलोमीटर तक की शिखर रेखा अत्यधिक ऊबड़-खाबड़ है।

फोटोन कणों का किया प्रयोग

वैज्ञानिकों ने कहा है कि उपग्रह के लेजर अल्टीमीटर से फोटोन कणों को समुद्र के उथले क्षेत्रों में किसी भी संरचना की ऊंचाई मापने के लिए उपयोग में लाया जाता है। नासा उपग्रह के फोटोन कण 40 किलोमीटर गहराई तक जा सकते हैं। वैज्ञानिकों ने लगभग 2 लाख फोटोन कणों को एकत्र कर डेटा हासिल किया।

सेतु के नीचे छोटी-मोटी नहरें

वैज्ञानिकों ने कहा है कि सेतु के नीचे 11 संकरी नहरें भी दिखीं, जिनकी गहराई 2-3 मीटर के बीच थी। इससे मन्नार की खाड़ी और पाक जलडमरूमध्य के बीच पानी का मुक्त प्रवाह या आदान-प्रदान होता है। रामेश्वरम के मंदिर अभिलेखों से पता चलता है कि यह पुल सन 1480 तक पानी के ऊपर था लेकिन, एक चक्रवात के दौरान डूब गया।