मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि, कोर्ट निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए पूरी पारदर्शिता चाहती है। और वह समिति का गठन करेगी ताकि अदालत में विश्वास की भावना पैदा हो।
समिति के कार्यक्षेत्र के पहलू पर, केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि, एक समग्र दृष्टिकोण होना चाहिए और सुरक्षा बाजार में कोई अनपेक्षित प्रभाव नहीं पड़ता है। पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि निवेशकों को काफी नुकसान हुआ है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि, जहां तक आपके लॉर्डशिप के सुझाव का सवाल है कि, इस पर एक पूर्व न्यायाधीश होना चाहिए, हमें कोई आपत्ति नहीं है। पीठ ने कहा कि वह हिंडनबर्ग रिपोर्ट मामले को देखने के लिए सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश के तहत समिति का गठन नहीं करेगी। उसने कहा कि, वह सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में समिति गठित कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने मेहता से कहा, हम पारदर्शिता सुनिश्चित करना चाहते हैं। अगर हम आपके सुझावों को सीलबंद लिफाफे से लेते हैं, तो इसका स्वत: मतलब है कि दूसरे पक्ष को पता नहीं चलेगा। सुप्रीम कोर्ट हिंडनबर्ग रिपोर्ट विवाद के संबंध में कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
याचिकाओं में से एक ने हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में एक समिति गठित करने का निर्देश देने की मांग की है, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के परिणाम स्वरूपअडानी समूह की कंपनी के शेयर की कीमतें गिर गईं और निवेशकों को भारी नुकसान हुआ।
इससे पूर्व सुनवाई के दौरान वकील विशाल तिवारी ने कहा कि, कॉरपोरेट्स अपने शेयर की अधिक कीमत दिखाकर लोन लेते हैं, इसकी भी जांच होनी चाहिए। वकील एमएल शर्मा की ओर से कहा गया कि, शॉर्ट सेलिंग की भी जांच करवाई जाए। इस पर सीजेआई ने पूछा कि, आपने याचिका दाखिल की है तो बताइए कि शॉर्ट सेलर आखिर करता क्या है?
अदाणी-हिंडनबर्ग विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में चार जनहित याचिकाएं दायर की गई है। वकील एमएल शर्मा, विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और कार्यकर्ता मुकेश कुमार ने ये पीआईएल दायर की हैं।