मन्नत के अनुसार दर्शन करने के लिए यहां पहुंचते हैं
खासकर सावन के माह में। भक्तों की मनोकामना पूर्ण होने के कारण वे मांगी गई मन्नत के अनुसार दर्शन करने के लिए यहां पहुंचते हैं। यहां शिव का धाम बड़ा महादेव मंदिर पचमढ़ी से 10 किलोमीटर दूर स्थित है। इस मंदिर में लगभग 60 मीटर लंबी गुफा है, जिसमें ब्रह्मा, विष्णु, शंकर, पार्वती व गणेश की मूर्तियां विराजमान हैं।
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अप्सरा का रूप लेकर भस्मासुर का वध इसी जगह किया
किवदंतियों व पचमढ़ी के बुजुर्गों के अनुसार भगवान शिव ने स्वयं भस्मासुर को आशीवार्द दिया था कि वह जिस पर हाथ रखेगा वह भस्म हो जाएगा। तब भस्मासुर ने भगवान पर ही उनके वरदान को आजमाने की सोचकर भगवान के शिव के पीछे पड़ा तब भगवान ने जिन-जिन कंदराओं में शरण ली, वह आज भी पचमढ़ी में हैं। भगवान विष्णु ने मोहनी नाम की अप्सरा का रूप लेकर भस्मासुर का वध इसी जगह किया था। अब वह बड़ा महादेव मंदिर है। यहां पर पूजन पं. अभिषेक दुबे द्बारा किया जाता है। पहाडिय़ों पर बनी सर्पाकार पंगडंडियां भी बड़ा महादेव मंदिर तक पहुंचती हैं। कहते हैं इनसे होकर गुजरने से कालसर्प दोष दूर होता है।