इनकी सुरक्षा को लेकर एसटीआर संतर्क हो गया है। जिस जगह बाघिन पहुंच रही है उस इलाके के पेड़ों के तनों में चार ट्रेंसिग कैमरे लगाए गए हैं। इसके जरिए निगरानी करने के साथ एक दो दिन में फुटेज निकाले जाते हैं। इसमें शवकों में हो रहे बदलाव का निरीक्षण हो जाता है। शावकों की उम्र 5 से 6 महीने हो चुकी है। उन्हें एसटीआर के टी टैग के साथ नंबर दिया जाएगा। इसके बाद तीनों शावक एसटीआर के रिकार्ड में नंबर से पहचाने जाएंगे। इनकी देखभाल और नियमित जांच आदि काम नंबर के हिसाब से किया जाएगा।
सैलानी देंगे तीनों शावकों को नाम
बाघिन मछली के तीनों शावकों को टैग और नंबर एसटीआर से मिलेगा, लेकिन उनका नामकरण सैलानी करेंगे। इसके लिए एसटीआर जल्द ही कार्यक्रम कर टूरिस्टों को शवकों का नाम रखने का मौका देगा। टूरिस्टों के बीच तीनों शवक उसी नाम से जाने जाएंगे।
बाघिन मालिनी के लिए बढ़ाई गश्त
ढाई साल बाद एसटीआर वापस लौटी बाघिन मालिनी जंगल सीमा के करीब ही डेरा जमाए हुए है। उसकी सुरक्षा के लिए विभाग ने कैमरा लगाने के साथ जंगल गश्त बढ़ा दी है। जंगल गश्ती दल मालिनी के आसपास रहकर उसकी हर लोकेशन को ट्रेस डाटा बनाते हैं।
सुरक्षा के लिए गश्ती बढ़ा दी गई
बाघिन मछली के एक नर और दो मादा शावकों को एसटीअर का नंबर दिया जाएगा। उनकी सुरक्षा के लिए चार ट्रेसिंग कैमरें लगाए दिए हैं। शावकों को नाम टूरिस्ट ही देंगे। बघिन मालिनी की सुरक्षा के लिए भी गश्ती बढ़ा दी गई है।
– विनोद वर्मा, एसडीओ चूरना नर्मदापुरम