पचमढ़ी के पहाड़ों में स्थित चौरागढ़ मंदिर का इतिहास युगों पुराना बताया जाता है। इसी स्थान से कई किवदंतिया भी जुड़ी हैं। इनमें से एक किवदंती ये भी खासा प्रचलित है कि भगवान महादेव ने भस्मासुर से बचने के लिए इसी पहाड़ी में शरण ली थी। एक अन्य किवदंती ये भी है कि इस पहाड़ी पर चोरा बाबा ने कई वर्षों तक तपस्या की थी, जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें इसी पहाड़ी पर दर्शन दिए थे। तभी से इस पहाड़ी को चोरागढ़ के नाम से जाना जाने लगा है। इसके बाद ही इस स्थान पर भोलेनाथ के मंदिर का निर्माण कराया गया था।
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मंदिर में त्रिशूल चढ़ाने की अनोखी परंपरा
जिले के पंचमढ़ी में स्थित इस प्रसिद्ध चौरागढ़ मंदिर में त्रिशूल चढ़ाने का भी खास महत्व है। यहां हर साल अपनी मनोकामनाएं लेकर आने वाले भक्त त्रिशूल चढ़ाते हैं। ये भी मान्यता है कि जब चोरा बाबा की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए थे। उस समय भगवान शिव अपना त्रिशूल इसी स्थान पर छोड़ कर चले गए थे। इसी मान्यता के तहत यहां अपनी मुरादें लेकर आने वाले भक्त मंदिर में चढ़ावे के तौर पर त्रिशूल चढाते आ रहे हैं। बता दें कि चौरागढ़ मंदिर भूतल से करीब 4200 फीट ऊंची खड़ी पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 1300 से अधिक सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।