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नर्मदापुरम

बेटा नहीं था तो 7 समंदर पार से पिता को मुखाग्नि देने आई बेटियां

बेटियां अपना फर्ज बेटों से भी अधिक निभाती हैं, ये बात मध्यप्रदेश की बेटियों ने सच साबित कर दी है.

नर्मदापुरमNov 14, 2022 / 11:42 am

Subodh Tripathi

बेटा नहीं था तो 7 समंदर पार से पिता को मुखाग्नि देने आई बेटियां

बेटा नहीं था तो 7 समंदर पार से पिता को मुखाग्नि देने आई बेटियां

नर्मदापुरम. बेटियां अपना फर्ज बेटों से भी अधिक निभाती हैं, ये बात मध्यप्रदेश की बेटियों ने सच साबित कर दी है, जब उनके पिता की मौत हो गई और उनके कोई बेटा नहीं था, तो बेटियां सात समंदर पार से अपने पिता को मुखाग्नि देने के लिए आई, एक बेटी मेलबर्न तो दूसरी नीदरलैंड से आई वहीं तीसरी की फ्लाइट लेट हो गई तो उसने वहीं से वर्चुअल अपने पिता को मुखाग्नि दी, जिसने भी पिता के प्रति बेटियों का ये प्रेम देखा तो उसकी आंखें आंसू से छलक उठी।

हार्ट अटैक से हुई मौत
मनुष्य के 16 संस्कारों में सबसे अहम है अंतिम संस्कार। समाज में मान्यता है कि इसे बेटा करे तो उत्तम होता है। बेटा न हो तो परिवार का कोई सदस्य क्रियाकर्म पूर्ण करता है। समय के साथ समाज में परंपरा और मान्यताओं में बदलाव भी दिखने लगे हैं। अब जिनके बेटे नहीं हंै उनकी बेटियां भी अपने माता-पिता को अंतिम विदाई दे रही हैं। ऐसा ही गिन्नी कंपाउंड निवासी रिटायर्ड कर्मचारी स्टेनो व टाइपिंग इंस्टीट्यूट संचालक नारायण राव पंवार के निधन पर देखने को मिला। 9 नवंबर को दोपहर में एक कार्यक्रम के दौरान एनआर पंवार का अचानक हृदय गति रुकने से निधन हो गया।

तीन दिन तक फ्रीजर में रखा पिता का शव
परिवार में तीन बेटियां विजेता, विनय और तृप्ती के अलावा पत्नी जयश्री पंवार हैं। दो बेटियां ऑस्टे्रलिया के मेलबर्न शहर में तो तीसरी छोटी बेटी तृप्ती नीदरलैंड की मल्टीनेशन कंपनी में इंजीनियर हैं। पंवार के निधन की खबर सुनकर अंतिम संस्कार के लिए रिश्तेदार पहुंच गए, लेकिन परिवार ने तय किया कि बेटियां जब आएंगी तब ही पिता का अंतिम संस्कार किया जाएगा। इसलिए शव को फ्रीजर में रखा। खबर सुनकर बेटियां भी तत्काल अपने पिता को अंतिम विदाई देने के लिए निकल पड़ीं। तीसरे दिन 11 नवंबर को जब बेटियां विजेता और विनय आस्ट्रेलिया से पहुंचीं तब अंतिम संस्कार किया गया। तीसरी बेटी तृप्ती फ्लाइट मिस होने के कारण देर से पहुंची।

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अंतिम यात्रा में भी चली बेटियां
रविवार को सुबह 10 बजे अंतिम यात्रा निकाली गई। इसमें परिजन, परिचितों के साथ बेटियां भी शामिल हुईं। पिता को अंतिम विदाई देने के लिए नर्मदा किनारे स्थित राजघाट पहुंचीं। यहां अंतिम संस्कार की विधि पूर्ण कर बेटियों ने अपने पिता को मुखाग्नि देकर विदा किया।

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