कमला बाई बताती हैं कि करीब ३ साल पहले ऐसे ही यह पेड़ घर में उगना शुरू हो गया था। कुछ दिन बाद जब इसकी हाईट अधिक हो गई तो इस मामले में ध्यान दिया गया। इसमें लगने वाले बैंगन की साइज आम भटों से कुछ बड़ी होती है।
बैंगन के इस पेड़ की खासियत यह है कि यह १२ माह हरा-भरा रहता है। इसमें हमेशा ही बैंगन लगते है। कमला बाई का कहना है कि आसपास के ग्रामीणों के साथ वह इनको बाजार में बेचकर कमाई भी कर रही हैं।
बैंगन के इस पेड़ को देखने के लिए आसपास के जिलों से लोग कमलाबाई के घर पहुंच रहे हैं। इस पेड़ को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हैं।
गांव के मनोहर बताते हैं कि पहली बार बैंगन का पेड़ देखा है वह भी छह फीट का। यह अपने आप में आश्चर्य है। वह बताते हैं इस पेड़ के बैंगन आम बैंगन की साइज से बड़े और स्वादिष्ट होते हैं। यही कारण है कि इनकी मांग छिंदवाड़ा तक है।
बैंगन की खेती कैसे करें
पहले नर्सरी तैयार करें
नर्सरी तैयार करने के लिए खेत की मिट्टी को अच्छे से देसी खाद् (गोबर) को मिट्टी की सतह पर बिखेर कर फिर जुताई करें। जुताई होने के बाद उठी क्यारियां बना लें फिर एक हेक्टेयर के लिए बीज 400 ग्राम तक काफी होता है। क्यारियों में 1 से.मी. की गहराई में 6 से 7 सेमी. की दूरी पर बीजो को डाल दें। उसे पर्याप्त मात्रा में पानी देते रहे ।
इस फसल को पूरे वर्ष में सभी ऋतुओं में लगाया जा सकता है। लेकिन में आपको माह से बता देता है। नर्सरी मई जून में करने पर बुआई 1 या डेढ़ माह में यानि जून या जुलाई तक कर सकते है।
नर्सरी में पौधे तैयार होने के बाद दूसरा महत्वपूर्ण कार्य होता है खेत को तैयार करना। मिट्टी परीक्षण करने के बाद खेत में एक हेक्टेयर के लिए 4 से 5 ट्रॉली पक्का हुआ गोबर का खाद् बिखेर दे।