Raksha Bandhan 2019 : किस रंग की राखी आपके भाई के लिए है शुभ
एक ओर अंजारी नदी और दूसरी ओर कलरकूटनी नदी में आए उफान की वजह से कई गांव टापू में तब्दील हो गए हैं। इस क्षेत्र में हाईस्कूल न होने की वजह से सैकड़ों छात्र छात्राओं को बरसात के दिनों में उफनती कलरकूटनी नदी को पार कर स्कूल जाना पड़ता है। पीवी 94 के हाईस्कूल पडऩे वाले 30 बच्चे नियमित पढऩे आते हैं। कुछ दिन पहले इस नदी में ग्रामीणों ने लकड़ी की पुलिया बनाया था, लेकिन बारिश में वह भी बह गई।स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले रायपुर रचेगा इतिहास, पूरी दुनिया के लिए बन जाएगा नज़ीर
छात्रों ने बताया कि रोजाना जान जोखिम में डालकर टीन से बनी डोंगी के सहारे स्कूल जाने को मजबूर है। सरकार को हमारी परेशानियों पर ध्यान देना चाहिए। वहीं जिम्मेदार अधिकारियों का उदासीन रवैया देखने को मिल रहा है। इस बारे में जानकारी होने के बावजूद अभी तक किसी प्रकार की पहल नहीं हो रही है।Also Read : जब तक थी सांस लडे वो…
वहीं ग्रामीणों को रोजमर्रा के सामान के लिए उफनती नदी को पार करना पड़ता है। बरसात के दिनों किसी ग्रामीण की तबीयत बिगडऩे तो यहां संजीवनी एक्सप्रेस 108 नहीं पहुंच सकती है। जिसकी वजह से ग्रामीणों को काफी मशक्कत के बाद मरीज को इसी डोंगी के सहारे नदी पार कर स्वस्थ्य केंद्र पहुंचाना पड़ता है।