युवाओं ने बढ़ाया हाथ, कारवां बढ़ता चला गया
संपत के परिवार के हाल जब शहीद मूलाराम सेवा समिति के सदस्यों को पता चले तो मदद के लिए मुहिम छेड़ी है। देखते ही देखते मदद के लिए राशि एकत्र होती गई। समिति में करीब तीन सौ युवा जुड़े हुए हैं। इन्होंने मिलकर भामाशाहों, प्रवासी भारतीयों से मदद के रूप में 19 लाख रुपए जमा किए, इसकी संपत के दोनों भाइयों के नाम एफडी कराई है। समिति के युवाओं ने मिसाल पेश की है।
इसे ऊपरवाले का कहर नहीं कहें तो क्या
28 वर्ष की उम्र में संपत प्रजापत दस माह पहले ही कमाने सऊदी अरब गया था, ताकि कुछ पैसा परिवार के लिए जमा कर सकें। लेकिन हृदयाघात से उसकी मौत हो गई। उसके पिता की 6 साल पहले और मां की 2 साल पहले मौत हो चुकी है। घर में एक 18 साल का भाई हीरालाल गंभीर बीमारी से ग्रसित है। एक भाई 16 साल का है जो पढ़ाई छोड़कर काम की तलाश में फिर रहा है। पत्नी के अलावा घर में 3 साल की बेटी और 9 माह का बेटा है। इसे ऊपरवाले का कहर ही कहेंगे कि संपत की एक आठ साल की बेटी की भी सड़क हादसे में एक साल पहले मौत हो चुकी है।