कलाकारी ऐसी कि हर किसी को दिखे ही नहीं नागौर-सालासर के बीच चलने वाली दोनों निजी बसों पर आगे-पीछे संचालक ने एक ही नम्बर आरजे 21 पीए 2933 लिखा रखे हैं, लेकिन कलाकारी ऐसी की हुई है कि हर किसी को यह दिखे नहीं। आगे की नम्बर प्लेट के ऊपर संचालक ने अलग-अलग डिजायन में बम्पर गार्ड लगा रखे हैं, जिसके चलते आसानी से नम्बर दिखाई नहीं देते हैं। वहीं बसों के पीछे लगी प्लेट पर एक पर स्टीकर लगा रखा है, जबकि दूसरी पर नम्बर साफ दिखाई दे रहे हैं। दोनों ही बसों की नाम, डिजायन व रंग लगभग एक जैसा है।
रूट ग्रामीण का, दौड़ रही हाइवे पर पत्रिका की पड़ताल में सामने आया कि जिले में दौड़ने वाली अधिकतर निजी बसों के पास ग्रामीण रूट का परमिट है, लेकिन उनको हाइवे पर दौड़ाया जा रहा है। कई बसें तो ऐसी हैं, जो अपने निर्धारित रूट पर चलती ही नहीं। सूत्रों ने बताया कि ग्रामीण रूट का परमिट लेने पर बस संचालक को 100 किमी तक मात्र साढ़े छह हजार रुपए टेक्स भरना पड़ता है, जबकि शहर व हाइवे पर दौडऩे वाली बसों को दुगुने से अधिक टेक्स भरना पड़ता है।
संभव नहीं, यदि है तो कार्रवाई करेंगे नियम में तो ऐसा संभव नहीं है कि एक ही नम्बर से दो बसें चले। मैं कल ही नागौर आकर इसका पता करवाता हूं, यदि एक ही मालिक जानबूझकर इस प्रकार अवैध रूप से बस चला रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
– देवेन्द्र अकोदिया, जिला परिवहन अधिकारी, नागौर