अन्य मादक पदार्थ से सस्ता
सूत्रों का कहना है कि डोडा-पोस्त तीन-साढ़े तीन हजार रुपए किलो में बेचा जा रहा है। जबकि अन्य नशे एमडी/स्मैक पर यह खर्च कर सिर्फ दो-तीन ग्राम ही पाई जा सकती है। कोकीन/हेरोईन का बाजार अभी ठण्डा है। डोडा-पोस्त के बाद एमडी सर्वाधिक बिकने व पकडे जाने वाला नशा है। वैसे भांग तो अब तक लाइसेंस पर बिक रही है पर नागौर में यह ठेका इस बार उठा ही नहीं। नागौर (डीडवाना-कुचामन) जिले का ठेका बीस-बाइस लाख तक का उठता है। इस बार इसके लिए कोई ठेकेदार आगे नहीं आया। बहरहाल इसके शौकीन बीकानेर समेत अन्य इलाकों से इसे भांग मंगवा रहे हैं।
नशा सप्लाई-मोटी कमाई
नशा कोई भी हो आमतौर पर युवा ही इसकी तस्करी में आगे हैं। नब्बे फीसदी से अधिक तस्करों की उम्र बीस से तीस साल के बीच है। नागौर समेत अन्य जेलों के बंदियों में चालीस फीसदी से अधिक नशीले पदार्थ की तस्करी में ही पकड़े गए थे। बताया जाता है कि इनमें काफी तो कई बार तस्करी में पकड़े जा चुके हैं। असल में मोटी कमाई का लालच युवाओं को इस राह पर दौड़ा रहा है। ट्रक ही नहीं छोटी गाडिय़ों पर भी माल की सप्लाई में अच्छी कमाई होती है। महीने में चार-पांच ट्रिप कर लग्जरी लाइफ जीना इनकी आदत में शुमार हो गया। कई तो लग्जरी गाड़ी के मालिक बन
चुके हैं।
एक नजर आंकड़ों पर
पुलिस के आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले एक साल में ही नागौर (डीडवाना-कुचामन) में डोडा-पोस्त तस्करी के दो दर्जन मामले पकड़े गए जिनमें पांच तो ट्रक थे। यह भी सामने आया कि एमडी आसानी से नशेडिय़ों तक पहुंच रहा है, कीमत और खपत के लिहाज से यह नशा भी कम नहीं है। शराब के कारोबार से जुड़े व्यापारी तक मानते हैं कि एमडी/स्मैक जैसे नशे ने शराब के धंधे पर असर डाला है।
इनका कहना…
करीब आठ साल पहले डोडा-पोस्त की बिक्री व उपयोग पर प्रतिबंध लगा था। वैसे तो कई नशीले पदार्थों की तस्करी हो रही है, पर डोडा-पोस्त फिलहाल सर्वाधिक पकड़ा जा रहा है।
मनोज बिस्सा, जिला आबकारी अधिकारी, नागौर
नई पीढ़ी जागरूक हो…
नशे की तस्करी ही नहीं उसमें लिप्त रहने वाले युवाओं की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। कॅरियर ही नहीं स्वयं के साथ परिवार के लिए भी यह घातक है। बुरी राह पर जान-बूझकर चलने वालों की बढ़ती भीड़ को रोकने के भरसक प्रयास करने जरूरी हैं।
सुमित कुमार, एएसपी नागौर