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“वानर बाँकों रे-लंका नगरी में मच गयो शोर

“वानर बाँकों रे-लंका नगरी में मच गयो शोरनया दरवाजा हनुमान मंदिर में नवाह्नपारायण पाठ में विविध अरण्यकाण्ड, किष्किंन्ध्या , सुंदरकाण्ड एवं लंकाकाण्ड की चौपाई, दोहों का वाचननागौर. शारदीय नवरात्रि के उपलक्ष्य में मानस सत्संग परिवार के तत्वावधान में नया दरवाजा स्थित हनुमान मंंदिर में चल रहे नवाह्नपारायण पाठ के सातवें दिन बुधवार को अरण्यकाण्ड, किष्किंन्धा […]

नागौरOct 10, 2024 / 12:08 pm

Sharad Shukla

“वानर बाँकों रे-लंका नगरी में मच गयो शोर
नया दरवाजा हनुमान मंदिर में नवाह्नपारायण पाठ में विविध अरण्यकाण्ड, किष्किंन्ध्या , सुंदरकाण्ड एवं लंकाकाण्ड की चौपाई, दोहों का वाचन
नागौर. शारदीय नवरात्रि के उपलक्ष्य में मानस सत्संग परिवार के तत्वावधान में नया दरवाजा स्थित हनुमान मंंदिर में चल रहे नवाह्नपारायण पाठ के सातवें दिन बुधवार को अरण्यकाण्ड, किष्किंन्धा , सुंदरकाण्ड और लंकाकाण्ड की चौपाइयों का रामद्वारा के महंत जानकीदास महाराज के सानिध्य में संगीतमय सामुहिक पाठ हुआ। नवाह्नपारायण पाठ में “शबरी पर राम की कृपा-नवधा भक्ति उपदेश”, “राम का हनुमान से मिलना और सुग्रीव से मित्रता”, “बालि-सुग्रीव युद्ध और बालि का उद्धार”, “सुग्रीव का राज्याभिषेक एवं अंगद को युवराज पद”, “सीताजी की खोज में वानरों का विभिन्न दिशाओं के लिए प्रस्थान”, “हनुमानजी का लंका को प्रस्थान, “अशोक वाटिका में “सीताजी-हनुमानजी से संवाद”, “हनुमानजी द्वारा अशोक वाटिका का विध्वंश”, “अक्षय कुमार का वध”, “हनुमान-रावण संवाद और लंका दहन”, “रावण को मंदोदरी और विभीषण का बारम्बार समझाना”, “समुद्र पर राम की सेना का पहुंचना, “नल नील का सेतु बांधना”, “राम का रामेश्वरम की स्थापना”, “राम सहित सेना पार उतरना” आदि प्रेरक प्रसंगों से ओतप्रोत चौपाइयां, दोहों और छन्दों का विभिन्न राग रागिनी के साथ हुए सामुहिक पाठ से मंदिर परिसर आस्था के रंग में रंगा रहा। इस दौरान श्रद्धालुओं ने “वानर बाँकों रे-लंका नगरी में मच गयो शोर रे भजन की प्रस्तुति दी। इसके पश्चात हनुमान चालीसा, श्रीराम स्तुति के साथ सामुहिक आरती की गई।
आयम्बिल स्वाद को नियंत्रित करने की तपस्या है
नागौर. कनक आराधना भवन में बुधवार को हुए प्रवचन में आयम्बिल की महत्ता समझाई गई। साध्वी मृगावती ने कहा कि आयंबिल जैन धर्म में एक प्रकार का बाह्य तप है। इसे वैज्ञानिक रूप से मन, शरीर और आत्मा को लाभ पहुंचाने के लिए बनाया गया है। आयंबिल स्वाद को नियंत्रित करने की तपस्या है। आयंबिल का व्रत स्वाद पर विजय प्राप्त करके आध्यात्मिक उत्थान प्राप्त करने और कर्म बंधन से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है। जैन साध्वी सुप्रिया ने कहा कि श्रीनवपद आयम्बिल ओली नौ दिनों का त्यौहार है। यह वर्ष में दो बार आता है। इसमें नवपद का जश्न मनाया जाता है। जैन साध्वी नित्योदया ने कहा कि संस्कृत और प्राकृत भाषा में नव का अर्थ है नौ, और पद का अर्थ है पद। अत: नवपद शब्द का अर्थ है ब्रह्माण्ड के नौ सर्वोच्च पद। अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु, सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चरित्र और सम्यक तप ही नवपद कहलाते हैं।
मां दुर्गा का किया पूजन, चढ़ाए 56 भोग
नागौर. शारदीय नवरात्रि के चल रहे महोत्सव में बुधवार को घांची समाज की ओर से तेलीवाड़ा में मां दुर्गा का पूजन किया गया। इस मौके पर समाज की ओर से 56 प्रकार के भोग का अर्पण वैदिक मंत्रोच्चार के साथ किया गया। कार्यक्रम में श्रद्धालुओं ने भजनों की प्रस्तुतियां दी। इसी तरह शहर की इंदिरा कॉलोनी में भी मां दुर्गा को 56 भोग चढ़ाए गए। इस मौके पर जुटे इंदिरा कॉलोनी, व्यास कॉलोनी एवं सैनिक कालोनी से आए श्रद्धालुओं ने भजन, कीर्तन करने के साथ विधिपूर्वक पूजन किया।
नागौर. इंदिरा कॉलोनी में मां दुर्गा को चढ़े 56 भोग
जगदीश जोशी अध्यक्ष, गोविंड झंवर उपाध्यक्ष
नागौर. भगतावाड़ी मोहल्ला स्थित गोपीनाथ मंदिर में प्रबन्ध कमेटी के चुनाव में कार्यकारिणी का निर्वाचन किया गया। गणपतलाल जोशी ने बताया कि इसमें जगदीश जोशी को अध्यक्ष, गोविन्द झंवर को उपाध्यक्ष, श्रीनारायण कंसारा को सचिव, गिरिराज चाण्डक को कोषाध्यक्ष, महेश अटल को कार्यक्रम प्रभारी, संगठन मंत्री रमेश जांगिड़ एवं अम्बालाल कंसारा को सहसचिव के पद पर निर्वाचित किया गया। कार्यकारिणी सदस्य के रूप में प्रभुदयाल जांगिड़, गोविन्दराम सोनी, रामनिवास सोनी, दामोदर मनिहार, दिनेश टाक और हरनारायण गौड़ को शामिल किया गया।

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