scriptनागौर में है जैन समाज का 539 साल पुराना कांच का मंदिर, दरवाजों में लगे लॉक का आज तक नहीं खुल पाया रहस्य | There is a 539 year old glass temple of Jain community in Nagaur, the mystery of the locks on the doors of the temple has not been solved till date | Patrika News
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नागौर में है जैन समाज का 539 साल पुराना कांच का मंदिर, दरवाजों में लगे लॉक का आज तक नहीं खुल पाया रहस्य

मंदिर में अष्टधातु से निर्मित वर्षों पुरानी भगवान ऋषभदेव की मूर्ति शहर के खत्रीपुरा स्थित चोरडिय़ा परिवार के घर से निकली थी, जिसकी 539 साल पहले यानी संवत 1541 में इस मंदिर में प्रतिष्ठा की गई

नागौरSep 07, 2024 / 11:59 am

shyam choudhary

kanch ka mandir nagaur
नागौर. शहर के मच्छियों का चौक स्थित जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का 539 साल पुराना मंदिर जैन धर्मावलंबियों के साथ देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। मंदिर में अष्टधातु से निर्मित वर्षों पुरानी भगवान ऋषभदेव की मूर्ति शहर के खत्रीपुरा स्थित चोरडिय़ा परिवार के घर से निकली थी, जिसकी 539 साल पहले यानी संवत 1541 में इस मंदिर में प्रतिष्ठा की गई। पूरे मंदिर में कांच और चांदी की अद्भुत नक्काशी की हुई है, इसलिए इस मंदिर का नाम भी कांच का मंदिर पड़ गया। मंदिर में भगवान ऋषभदेव के बांए पाŸवनाथ भगवान और दांए आदेश्वर भगवान की प्रतिमाएं स्थापित हैं। मंदिर में गिरनार, पावापुरी, शत्रुजा महातीर्थ, सम्मेद शिखरजी आदि के वर्षों पुराने पट लगे हुए हैं। मंदिर में की गई कांच की नक्काशी को देखने के लिए देश भर से जैन समाज के साथ पर्यटक भी आते हैं। मंदिर देखने हर महीने दो से ढाई हजार लोग आते हैं, जिसमें विदेशी पर्यटक शामिल हैं। रामदेवरा मेले के दौरान दर्शनार्थियों की संख्या बढ़ जाती है।
kanch ka mandir
मंदिर में नक्काशीदार दरवाजे लगे हुए हैं, जिनमें हाथी दांत में नक्काशी करके लगाया गया है।
दरवाजों का रहस्य आज तक नहीं खुला

मंदिर मार्गी ट्रस्ट के अध्यक्ष धीरेन्द्र समदडिय़ा ने बताया कि कांच का मंदिर नागौर जैन श्वेतांबर मंदिर मार्गी ट्रस्ट की पेढ़ी है। मंदिर में नक्काशीदार दरवाजे लगे हुए हैं, जिनमें हाथी दांत में नक्काशी करके लगाया गया है। मंदिर के दरवाजे में लगे लॉक का रहस्य आज तक कोई समझ नहीं पाया हैं। कई कारीगरों को बुलाकर पता करने का प्रयास किया, लेकिन लॉक कैसे लगेगा और कैसे खुलेगा, यह पता नहीं चल पाया।
अनूठा है माळ महोत्सव

मंदिर के पुजारी हेमंत एवं मुनीम गोरधनदास ने बताया कि पूरे भारत में अकेले नागौर के इस मंदिर में ही माळ महोत्सव मनाया जाता है। यह संवत्सरी से एक दिन पहले मनाया जाता है, जिसमें भगवान को माला पहनाने वाले व्यक्ति का पूरे शहर में जुलूस निकालकर उसे घर तक पहुंचाया जाता है।
आंगी रचना में लगते हैं तीन से चार घंटे

पर्युषण पर्व में रोजाना भगवान की प्रतिमा पर आंगी रचना की जाती है। यह कार्य जैन समाज के नितेश तोलावत, अभिषेक चौधरी, सुमित चोरडिय़ा, सौरभ सुराणा, अर्पित तोलावत व गजेन्द्र सुराणा करते हैं, जिन्हें रोजाना तीन से चार घंटे लग जाते हैं।

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