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नागौर

नीलगाय का बढ़ा कुनबा, सियार विलुप्त तो भेड़िए रह गए आधे

कुचेरा. नागौर जिले में वन्यजीव प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है। शिकार की घटनाओं और राष्ट्रीय राजमार्ग पर तेज रफ्तार वाहनों की चपेट में आकर अकाल मौत के शिकार होने के बावजूद जिले में काले हरिण और चिंकारा ने कुनबा यथावत बना रखा है।

नागौरJul 25, 2024 / 05:03 pm

Ravindra Mishra

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एक खेत में स्वच्छन्द विचरण करते हरिण।

नागौर में चिंकारा और मोर तो मेड़ता में काला हरिण व मोर का कुनबा सिरमौर

– जून माह में वन विभाग ने करवाई थी जिले में वन्यजीव गणना

कुचेरा. नागौर जिले में वन्यजीव प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है। शिकार की घटनाओं और राष्ट्रीय राजमार्ग पर तेज रफ्तार वाहनों की चपेट में आकर अकाल मौत के शिकार होने के बावजूद जिले में काले हरिण और चिंकारा ने कुनबा यथावत बना रखा है। गत 21 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा की रात वन विभाग की ओर से करवाई गई वन्यजीव गणना के विभाग ने आंकड़े जारी किए हैं। इनमें राष्ट्रीय पक्षी मोर व नीलगाय की संख्या में कुछ बढ़ोतरी हुई है। जबकि दो साल पूर्व हुई वन्यजीवों की गणना के बाद इस वर्ष हुई गणना में सियार फिर विलुप्त हो गए हैं तो भेड़ियों की संख्या भी घटकर आधी रह गई है।
कहां कौन घटा कौन बढ़ा

वन विभाग की मेड़ता रेंज क्षेत्र में 2022 में हुई वन्यजीवों की गणना व वर्तमान में हुई गणना में सियार 6 से घटकर शून्य और जंगली बिल्ली 3 से बढ़कर 7, लोमड़ी 27 से बढ़कर 28, भेड़िए 13 से घटकर 9, चिंकारा हरिण 260 से बढ़कर 276, काला हरिण 4405 से बढ़कर 4419, नीलगाय 3707 से बढ़कर 3909, राष्ट्रीय पक्षी मोर 4626 से बढ़कर 4959 हो गए हैं। खरगोश की संख्या 2022 में 54 थी। इस वर्ष इसे गणना में शामिल नहीं किया गया, वहीं 2022 की गणना में शामिल नहीं रही सैही की संख्या इस बार 5 हो गई है वहीं लंगूर 11 हैं।
इसी प्रकार नागौर रेंज में 2022 व 2024 की वन्यजीव गणना में जंगली बिल्ली 12 से बढ़कर 14, मरू बिल्ली 16 से बढ़कर 17, लोमड़ी 57 से एक घटकर 56, मरू लोमड़ी 61 से घटकर 58, काला हरिण 28 से 29, रोजड़ा /नीलगाय 1004 से बढ़कर 1012, चिंकारा हरिण 1820 से एक घटकर 1819, मोर 1174 से बढ़कर 1178 हो गए हैं। खरगोश 2022 में 183 थे, इससे बढ़कर 210, तीतर 106 से बढ़कर 135, सांड 17 से बढ़कर 27 हो गए। झाऊ चूहा इस वर्ष 09 व नेवला 25 है।
मेड़ता में बढ़े राष्ट्रीय पक्षी

वन्यजीव गणना के अनुसार वन विभाग की मेड़ता रेंज में राष्ट्रीय पक्षी मोर की संख्या में बढ़ोतरी संतोषजनक रही। इस रेंज क्षेत्र में पिछले दो साल में 317 मोर की बढ़ोतरी हुई है।
वाटर पॉइंट पद्धति से होती है गणना

वन्यजीवों की गणना ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा की धवल रात्रि में वाटर पॉइंट पद्धति के आधार पर होती है। इसमें गर्मी के मौसम में रात्रि में वन्यजीव पानी पीने के स्थानों पर आते हैं। इस दौरान 24 घण्टे में पानी पीने आने वाले वन्यजीवों की गणना की जाती है।
जीवन संघर्ष घटा रहा संख्या

क्षेत्र में स्वच्छन्द विचरण करने वाले वन्यजीवों की संख्या शिकारी श्वानों के आतंक, दुर्घटना में मौत तथा भोजन शृंखला में एक जीव दूसरे का भोजन बनने से उच्च प्रजनन क्षमता के बावजूद संख्या घट रही है या वही कुनबा है। जबकि हरिण, नीलगाय, खरगोश आदि एक बार में दो से चार बच्चों को जन्म देते हैं। मोरनी एकबार में 3 या 4 अंडे देती है। लेकिन बढ़ते जीवन संघर्ष को पार करने वाले बच्चे व चूजे ही बड़े हो पाते हैं।
इनका कहना है

क्षेत्र में वन्यजीवों की संख्या में ज्यादा घटत बढ़त नहीं हुई है। वन्यजीवों का कुनबा वही रहना या हल्की बढ़ोतरी संतोषजनक है।

राहुलजीत जाट, रेंजर वन विभाग, मेड़ता रेंज।
वन्य क्षेत्र में स्वच्छन्द विचरण करने वाले वन्यजीवों में हल्की बढ़ोतरी हुई है। कम संख्या वाले वन्यजीव भी अपना कुनबा बढ़ाने के लिए संघर्षरत है।

हेमेंन्द्र फरड़ोदा, रेंजर वनविभाग, नागौर रेंज।

वन्यजीवों की गणना वाटर हॉल पर खड़े रहकर की जाती है। उस स्थान पर उस दिन आने वाले वन्यजीव ही गणना में शामिल हो पाते हैं। संभवत: सियार उस दिन वाटर हॉल पर नहीं आए होंगे, बाकी जिले में काफी संख्या में सियार है। कर्मचारियों की ड्यूटी के आधार पर कुछ वाटर हॉल छूट भी सकते हैं। इससे उस क्षेत्र विशेष में रहने वाले अन्य वन्यजीव भी गणना में शामिल नहीं हो पाते।
सुनील कुमार, उप वन संरक्षक, नागौर।

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