सूत्रों के अनुसार नागौर के साथ डीडवाना-कुचामन को भी शामिल करें तो इनामी मोस्ट वांटेड की संख्या दो दर्जन से अधिक है। इनमें से कुछ की तलाश में पुलिस ने लम्बा समय तो लिया ही खर्चा भी मोटा किया। बावजूद इसके वो हाथ नहीं आए। हालांकि गैंगस्टर आनंदपाल के साथ रही लेडी डॉन अनुराधा, राजू फौजी, राजू नेतड़ समेत कुछ इनामी बदमाश पहले ही गिरफ्तारी के बाद इस लिस्ट से नदारद हो चुके हैं। कुछ की फरारी के इतने साल हो गए कि उनको तलाशना अब पुलिस के लिए आसान काम नहीं रहा।
अब सुपारी किलर संदीप उर्फ शेट्टी की हत्या को ही देख लें, डेढ़ साल से अधिक समय गुजर गया, इसके बाद भी मुख्य आरोपी अनिल उर्फ छोटिया अब तक फरार है। उस पर 25 हजार का इनाम घोषित है। संदीप उर्फ शेट्टी के अधिकांश कातिल पुलिस की गिरफ्त में आ चुके हैं पर अनिल अब तक फरार है। उस पर हरियाणा के साथ दिल्ली पुलिस ने भी इनाम घोषित कर रखा है। हमेशा वारदात के बाद अकेले रहने वाला अनिल उर्फ छोटिया जल्दी- जल्दी अपने ठिकाने बदलता है। खास बात यह है कि वो मोबाइल का इस्तेमाल भी नहीं करता। यही नहीं एक अन्य आरोपी अभी फरीदाबाद जेल में बंद है, जिसे प्रोडक्शन वारंट पर पुलिस को यहां लाना है।
सूत्र बताते हैं कि अधिकांश आरोपी हत्या के मामले में फरार चल रहे हैं। इक्का-दुक्का आरोपी एनडीपीएस एक्ट व आम्र्स के साथ धोखाधड़ी के हैं। इन 13 में चार पर 25-25 हजार का इनाम है, जबकि तीन 15-15 हजार के तो चार दस-दस हजार के मोस्ट वांटेड हैं। दो पर पांच-पांच हजार का इनाम घोषित है। यह इनाम पिछले साल मई में ही बढ़ा था, जब एसपी को इनका इनाम बढ़ाने का अधिकार मिला तो यह वृद्धि हुई, जबकि पहले मोस्ट वांटेड का सर्वाधिक इनाम ही दस हजार रुपए था।
कोई आठ साल से तो कोई 28 साल से गायब सूत्रों का कहना है कि अकेले नागौर जिले के 14 मोस्ट वांटेड में से एक अनिल कुमार सोनी करीब 28 साल से फरार है। बड़ीखाटू थाने में 13 सितम्बर 1996 को दर्ज हत्या के एक मामले में आरोपी अनिल कुमार की उम्र तब 55 साल थी। करीब 28 साल से फरार अनिल कुमार यूपी के गाजियाबाद जिले का रहने वाला है। अब वो जिंदा भी है, इसकी भी गारंटी नहीं है। इस पर दस हजार रुपए का इनाम है। इसके अलावा मोस्ट वांटेड़ घनश्याम उर्फ श्याम, शंकर उर्फ शंकर सिंह व गोपाल चौधरी आठ-आठ साल से फरार चल रहे हैं। इनमें घनश्याम व शंकर सिंह पर 25-25 हजार तो गोपाल चौधरी पर दस हजार का इनाम है। इनमें शंकर सिंह व घनश्याम यूपी के बदायूं का रहने वाला है। इसके अलावा यूपी के प्रतापगढ़ का जुल्फेकार भी पांच साल से फरार है। उस पर भी दस हजार का इनाम है।
नागौर के ही पकड़ में नहीं आए सूत्र बताते हैं कि बाहरी राज्यों के अपराधी पकड़ में नहीं आने की बात तो दूर हत्या समेत अन्य अपराध में शामिल मूलत: नागौर जिले के मोस्ट वांटेड ही पुलिस के हाथ नहीं आए। भावण्डा का कानाराम बिडियासर तीन साल से तो पादूकलां के झिंटिया का जस्साराम आठ महीने से फरार चल रहा है। इसके अलावा हत्या के आरोपी मेड़ता निवासी मनीष कमेडिया पर 25 हजार का इनाम है वह भी फरार है। इसके अन्य साथी ओमप्रकाश डोगीवाल और जोगाराम को भी पुलिस आठ माह बाद भी पकड़ नहीं पाई। पांचौड़ी के अनिल मांजू और पारस विश्नोई पर भी पांच-पांच हजार का इनाम है, पुलिस इनको भी छह महीने से तलाश रही है।
पकडऩे में भी कई मुश्किल पुलिस अफसरों का कहना है कि सभी बड़े अपराधी पकड़ में आ जाते हैं, कुछ के लिए भी प्रयास तो पूरे होते हैं पर रेगुलर फॉलो नहीं करने से ये पकड़ में नहीं आते। इनमें बाहरी राज्यों के ज्यादा होते हैं। उनकी आईडेंटी, सम्पर्क आदि नहीं होना भी इसकी बड़ी वजह होता है। इसके अलावा सीमित साधन-संसाधन के बीच एक आरोपी का रेगुलर पीछा संभव भी नहीं हो पाता। इसके अलावा बाहरी राज्य पुलिस का सहयोग समेत कई और कारण भी है जो इन्हें पकडऩे में मुश्किल पैदा करता है।