इस बार चातुर्मास 20 जुलाई से 14 नवम्बर तक रहेगा। चातुर्मास में शुभ कार्य जैसे विवाह संस्कार, नामकरण, मुंडन, गृह प्रवेश, दुकान की शुरूआत आदि कार्य नहीं किए जा सकेंगे। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्रीहरि विष्णु अपनी योग निद्रा से जागते है, उसे देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष ये एकादशी 15 नवम्बर को मनाई जाएगी। इसके बाद शुभ कार्य शुरू होंगे।
पंडित कृष्ण कुमार दाधीच ने बताया कि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी को श्रीहरि विष्णु की पूजा-अर्चना करके विशेष लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इस दिन विधि पूर्वक व्रत करने सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को स्नान कराकर नए वस्त्र (पीतांबर) पहनाएं। इसके बाद 16 सामग्रियों से पूजा करें। इसके अलावा चातुर्मास में भी देवी-देवताओं की पूजा आराधना करके कृपा प्राप्त की जा सकती है। धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि इस अवधी में किए गए जप, तप, दान का फल अक्षय मिलता है।