बताया जा रहा कि कि संक्रमित रोगी ना ही चिकित्सा व्यवस्था से जुड़ पा रहे हैं ना ही सरकार की ओर से मिलने वाले अन्य लाभ का फायदा ले पा रहे हैं। ऐसे में उनसे और लोगों के संक्रमित होने की आशंका के साथ उनके स्वस्थ रहने की मुश्किल बढ़ रही है। इसे देखते हुए नागौर (डीडवाना-कुचामन) में करीब तीन दर्जन से अधिक शिविर लगाए जाएंगे, जो सितम्बर से नवम्बर तक आयोजित होंगे।
संक्रमित गांव-स्थान किए गए चिन्हित
सूत्र बताते हैं कि ऐसे गांव-स्थान चिन्हित किए गए हैं जहां एचआईवी संक्रमित होने की आशंका अधिक है। इनमें खासतौर से बाहर रहने वाले तीज-त्योहार पर कुछ दिनों के लिए घर/वापसी वाले लोगों को ध्यान में रखते हुए स्थान चुने गए हैं। बताया जाता है कि इसके लिए मुख्यालय को प्रस्ताव भेज दिया गया है। इसकी हरी झण्डी मिलते ही शिविर शुरू होंगे। खासतौर से बाहर नौकरी अथवा व्यवसाय करने वालों पर फोकस किया गया है। इसके लिए संबंधित के बारे में आसपास के पीएचसी/सीएचसी से भी जानकारी जुटाई जा रही है।
ये होता है एचआईवी संक्रमण
एचआईवी वायरस शरीर के संक्रमण और बीमारी से लडऩे की क्षमता को कमजोर करता है। यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) के अलावा ये संक्रमण रक्त के चढ़ाने संक्रमित व्यक्ति को लगे इंजेक्शन के उपयोग से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। इसके अलावा गर्भावस्था, प्रसव या स्तनपान के दौरान मां से इसके बच्चे में भी होने का खतरा देखा जाता रहा है।
यह है अनुमानित संख्या
राजस्थान में वर्तमान में साल 2018 से लेकर दिसम्बर 2023 तक करीब 36 हजार एचआईवी पॉजिटिव सामने आए हैं। इनमें 70 ट्रांसजेंडर्स भी शामिल हैं। करीब चौदह सौ बच्चे और बारह सौ बच्चियां भी इसमे शामिल हैं। भीलवाड़ा, सिरोही, जालौर, पाली, उदयपुर, डूंगरपुर व बांसवाड़ा में पीडितों की संख्या कहीं ज्यादा है।