सूत्र बताते हैं कि हालांकि नहरी परियोजना के जिम्मेदार इस बात का दावा कर रहे हैं कि उनके यहां से भरपूर पानी सप्लाई हो रही है। सप्लाई हो रही है तो घरों तक पानी क्यों नहीं पहुंच पा रहा, इस पर भी अलग-अलग बातें सामने आ रही हैं। कहीं सप्लाई तरीके से नहीं होने तो कहीं पाइपलाइन के सही कनेक्ट नहीं होने से कई घरों तक पानी नहीं पहुंच पाता। इस मुश्किल को दूर करने के लिए भी अब अलग-अलग स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।
घर-घर सर्वे कराने की योजना
सूत्रों का कहना है कि परिषद जल्द ही इसको लेकर घर-घर सर्वे कराने का प्लान कर रही है, ताकि पेयजल को लेकर परेशानी, कनेक्शन के साथ पाइपलाइन की स्थिति और प्रेशर को मार्क किया जाए। इसके साथ ही अवैध कनेक्शन काटने की प्रक्रिया शुरू हो। जानकारी के अनुसार कि शहर में सैकड़ों अवैध कनेक्शन पेयजल किल्लत की बड़ी समस्या है। एक-एक घर में तीन-तीन कनेक्शन हैं। ऐसे में परिषद जल्द ही इसके लिए निविदा निकालने जा रही है। अवैध कनेक्शन के चलते भी बहुत से घर रीते रह जाते हैं। सर्वे में उन घरों को भी चिन्हित किया जाएगा जिनके अगल-बगल पानी है, लेकिन उन तक नहीं पहुंच रहा। अपने देश में पेयजल और घरेलू जरूरत के पानी की सप्लाई का अलग-अलग ढांचा नहीं है, ऐसे में पानी के सदुपयोग-दुरुपयोग का अलग-अलग आकलन करना भी पेचीदा है। सर्वे के दौरान पाइपलाइन लीकेज, नल नहीं होने जैसी स्थिति को भी सुधारा जाएगा।
पानी चोरी कर बिकवाली
सूत्र बताते हैं कि पानी की चोरी हो रही है। टेंकरों के जरिए इसकी बिकवाली की जा रही है। बीच में तो एक टेंकर के पांच सौ रुपए लिए गए। ऐसे में पेयजल किल्लत से परेशान लोगों को मुश्किल आई। बताया जाता है कि इस तरह की चोरी पर लगाम लगाने के साथ सर्विस स्टेशन, होटल व अन्य बड़े संस्थानों की पेयजल व्यवस्था भी जांची जाएगी। पाइप लाइन से सप्लाई के दौरान पानी की चोरी भी कोढ़ में खाज वाली कहावत को चरितार्थ कर रही है।
फिजूल की बर्बादी भी खूब
सूत्रों का कहना है कि शहर में पानी की खूब बर्बादी हो रही है। लोग इसकी कीमत नहीं पहचान रहे। अनावश्क बहते पानी को संग्रहित करने अथवा इसके सदुपयोग की पहल ही नहीं हो रही। विशेषज्ञ बताते हैं कि शौचालय में अगर फ्लश के स्थान पर छोटी बाल्टी से पानी का इस्तेमाल किया जाए तो एक बार में करीब 10 लीटर पानी की बचत हो सकती है। खुले नल के विपरीत बाल्टी में पानी लेकर कपड़े धोने से करीब 100 लीटर पानी की बचत होगी। पाइप से कार या अन्य वाहन की धुलाई के बदले बाल्टी में पानी लेकर धुलाई करने से करीब 80 लीटर पानी की बचत होगी वहीं फर्श आदि की धुलाई पाइप के बदले बाल्टी में पानी लेकर करने से करीब 80 लीटर पानी की बचत होगी। इसी प्रकार नल खोलकर दांत साफ करने व सेविंग करने के बदले अगर मग में पानी लेकर ऐसा किया जाए तो 10-10 लीटर पानी की बचत हो सकती है पर इसको लेकर कोई ध्यान नहीं दे रहा।
शहर ही नहीं जिले में कई स्थानों पर सप्लाई
पेयजल समस्या शहर के अलावा जिले में कई जगह है। नहरी परियोजना के तहत शहर के अलावा करीब साढ़े सात सौ गांवों में पानी सप्लाई हो रहा है। इसमें कुचेरा, मूण्डवा, मेड़ता, खींवसर आदि इलाके शामिल हैं। पानी सप्लाई कितना होता है, इसका पता नहीं।
इनका कहना है खूब पानी दिया जा रहा है। शहर की जनता के अलावा जिले के करीब साढ़े सात सौ गांवों तक पानी पहुंच रहा है। ये हमारी वजह से नहीं, अन्य कारण से लोगों के सामने समस्या आ रही होगी।
उमेश मीणा, एक्सईएन, नहरी परियोजना, नागौर
प्रति व्यक्ति पानी बढ़ाने को लेकर प्रस्ताव दिया है, जल्द ही संभवतया सौ के बजाय 135 लीटर पानी शहर की जनता को मिलने लगेगा। घर-घर सर्वे के अलावा अवैध कनेक्शन काटने को लेकर भी जल्द कार्रवाई करेंगे।
मीतू बोथरा, सभापति, नगर परिषद नागौर पाइपलाइन से संबंधित खामियां दूर की जा रही हैं। अधिकांश पर काम हो गया है, कुछ जगह टीम काम कर रही है। बीच में लेबर कम हो गए थे, जल्द ही जलदाय विभाग से संबंधित काम पूरे कर दिए जाएंगे।
-मदनलाल मीणा, एक्सईएन पीएचईडी, नागौर