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नागौर

शव के साथ ही ‘दफन’ हो गए मर्डर के राज

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नागौरAug 21, 2018 / 10:42 am

shyam choudhary

Opposition of claims against security

Nagaur police can not open Blind Murders

नागौर. जिले में पिछले तीन-चार साल में नागौर पुलिस के प्रयासों से हत्या के मामले में कुछ हद तक कमी जरूर आई है, लेकिन इन वर्षों में आधा दर्जन मर्डर ऐसे भी हुए, जिनके राज खोलना पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है। यूं तो 7 फरवरी 2014 को नागौर शहर के कालू खां की बाड़ी में हुई केमिकल अटेक में मां-बेटे की मौत, 26 मार्च 2015 को बड़ी खाटू थाना क्षेत्र के धीजपुरा के पास बोलेरो चालक की हत्या, 23 जून 2015 को मेड़ता रोड रेलवे ट्रेक पर डिस्कॉम के हेल्पर की हत्या कर नग्न शव डालने तथा 10 मार्च 2016 को जिला मुख्यालय पर डिस्कॉम कॉलोनी में केशियर की हत्या के राज आज भी पुलिस के लिए पहेली बने हुए थे, लेकिन गत माह कुचामन में हुए रश्मि हत्याकांड ने एक बार फिर पुलिस के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। एक माह से अधिक समय होने के बावजूद नागौर पुलिस हत्या का राज खोलने में सफल नहीं हो पाई है। इन ब्लाइंड मर्डर से ऐसा लग रहा है कि जैसे हत्या के राज मृतकों के शव के साथ ही दफन हो गए।
जांच अधिकारी बदले, लेकिन नहीं खोल पाए हत्या के राज
जिले के आधा दर्जन ब्लाइंड मर्डर को लेकर पत्रिका द्वारा की गई पड़ताल में सामने आया कि हत्या के राज खोलने के लिए पुलिस अधिकारियों प्रयाय तो काफी किए, लेकिन सफलता नहीं मिली। जिन प्रकरणों में परिजनों एवं राजनीतिक दबाव था, उनमें पुलिस ने बार-बार जांच अधिकारी बदले, लेकिन मामलों में मृतकों के पीछे कोई लडऩे वाला नहीं था, उनकी फाइलें पुलिस ने देखना ही उचित नहीं समझा।
ये हैं प्रमुख ब्लाइंड मर्डर

टीमें लगी हुई हैं, प्रयास चल रहे हैं
कई बार कुछ मर्डर खोलने में थोड़ा समय लग जाता है। जिले के ब्लाइंड मर्डर खोलने के लिए टीमें लगी हुई हैं, कई दिशाओं में प्रयास चल रहे हैं। जांच में यदि कहीं कमी रही है तो मैं जल्द ही सभी मामले देखकर स्पेशल टीम बनाकर खोलने का प्रयास करेंगे।
– हरेन्द्र कुमार महावर, पुलिस अधीक्षक, नागौर

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