स्वतंत्रता के बाद 2 अक्टूबर 1959 को पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पंचायतीराज की नींव रखी। नागौर के पशु मेले की खासी ख्याति है। नागौरी बैलों का वर्चस्व इतना है कि यहां के किसानों का मशीनरी से अधिक भरोसा इन बैलों पर रहा है। हम पान मैथी के लिए प्रसिद्ध हैं तो मकराना में विश्व प्रसिद्ध मार्बल निकलता है। ताजमहल इसका गवाह है। पंजाब के स्वर्ण मंदिर में इस मार्बल का उपयोग हुआ है। अब अयोध्या में बन रहे श्रीराम मंदिर में भी इसे लगाया जाएगा।
Nagaur राजस्थान की राजनीति का केन्द्र रहा है। यहां के मंदिर भी देशभर में ख्यात हैं। चाहे वो लाडनूं का 10वीं सदी के जैन मंदिर या गोठ मांगलोद में दधिमती माता का मंदिर। मेड़ता का मीरा बाई मंदिर कृष्ण भक्ति का अनूठा उदाहरण है। नागौर-जोधपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर लोक देवता वीर तेजाजी का जन्मस्थान है। नागौर और खिंवसर का किला इतिहास को अपने साथ समेटे हुए हैं। नागौर में पैदा होने वाली पान मैथी सैकड़ों लोगों के लिए रोजगार का साधन बनी हुई है।
नागौर के विकास ने गति पकड़ी है, जिसमें Rajasthan patrika बुलंद आवाज बनी है। चाहे यहां जिला चिकित्सालय के लिए नए भवन की बात हों या फिर 27 फरवरी 2017 को विधानसभा में Nagaur पान मैथी को नोटिफाई कमोडिटी (कृषि जिंस) में शामिल करने की घोषणा की हो। राजस्थान पत्रिका हर उतार चढ़ाव में नागौर के जनमानस में रच बस चुका है।
पत्रिका ने सामाजिक सरोकार के तहत वर्ष 2016 में नि:शुल्क पाठशाला की नींव रखी। आज यहां नायक कच्ची बस्ती में 75 से अधिक बच्चे नि:शुल्क शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। अमृतम् जलम् अभियान के तहत वर्ष 2015 में शहर के जड़ा का तालाब के स्वच्छता अभियान को हाथ में लिया। कभी गंदगी से अटे इस तालाब में पत्रिका के अभियान का असर है कि अब यह एक पर्यटन केंद्र बन चुका है। अब तालाब में बोटिंग हो रही है। अब बख्ता सागर को शहर के लोगों के साथ मिलकर संवार रहे हैं।
जनवरी 2016 में शहर में सौ फीट ऊंचा तिरंगा स्थापित करने के लिए मुहिम छेड़ी। आज नकास गेट के पास एमडीएच की मदद से न सिर्फ तिरंगा लगा। ये अब पर्यटन स्थल बन चुका है। वर्ष 2018 में नागौर स्थापना दिवस मनाने को लेकर मुहिम छेड़ी गई। तब हर साल अक्षय तृतीया को Nagaur स्थापना दिवस मनाने का निर्णय किया गया। Rajasthan patrika आगे भी नागौर के हर सुख-दु:ख में भागीदारी के कृत संकल्पित है।