नागौर

तेरह बीघा जमीन रहनमुक्त करवाने को दर-दर भटक रहा किसान, जोधपुर हाईकोर्ट डेढ़ साल पहले दे चुका आदेश

नागौर. गरीबी के साथ अशिक्षित होने का दंश झाड़ेली के एक किसान को भुगतना पड़ रहा है। ना उसने किसी बैंक से कभी कर्ज लिया और ना ही उसका किसी बैंक पर किसी तरह का बकाया है। बैंक के साथ प्रशासनिक गफलतों में फंसे इस किसान की खुद की जमीन अभी तक मोरगेज (रहन) पड़ी है। ना बैंक से अनापत्ति प्रमाण-पत्र मिला ना ही उसकी जमीन रहनमुक्त कर म्यूटेशन व खातेदारी दर्ज की जा रही है।

नागौरMar 30, 2024 / 09:48 pm

Sandeep Pandey

यह व्यथा है झाड़ेली के किसान किशनाराम नायक की। उसने लाडनूं के निजी बैंक की नागौर, जयपुर तो क्या किसी भी शाखा से कर्ज नहीं लिया। ना ही किसी अन्य बैंक का कोई बकाया है।

इस बाबत राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर करीब डेढ़ साल पहले फैसला तक सुना चुका है।
यह व्यथा है झाड़ेली के किसान किशनाराम नायक की। उसने लाडनूं के निजी बैंक की नागौर, जयपुर तो क्या किसी भी शाखा से कर्ज नहीं लिया। ना ही किसी अन्य बैंक का कोई बकाया है। उसने तो सिर्फ अपने गांव के एक किसान मांगीलाल नायक को ट्रेक्टर दिलाने के लिए गारंटर के रूप में अंगूठा लगाया था। उस समय दलाल ने किशनाराम को भी कर्ज दिलाने का झांसा दिया। किशन जिस मांगीलाल नायक का गारंटर था , उसने करीब आठ साल पहले ही लाडनूं के निजी बैंक का ऋण चुका दिया। बैंक का ऋण चुकता होने पर बैंक ने कर्जदार मांगीलाल व एक गारंटर किशनाराम व एक अन्य गारंटर को एनओसी भी दे दी। एनओसी पर कर्जदार किसान मांगीलाल व एक अन्य गारंटर की भूमि सम्बन्धित तहसीलदार जायल ने रहनमुक्त करके दोबारा खातेदार के नाम कर दी।
पीडि़त किसान किशनाराम का कहना है कि दलाल ने लालच में कई दिनों तक उसे एनओसी नहीं दी, एनओसी मिलने पर पटवारी व अन्य जिम्मेदार एनओसी को पुरानी बताते रहे। यहां तक कि दलाल ने नई एनओसी के पचास हजार रुपए अलग से मांगे। फिर उसे अन्य शाखा के बाद जयपुर तक सम्पर्क करने को कह दिया। वहां किशनाराम पहुंचा तो बताय गया कि उसका कोई ऋण व गारंटी बकाया नहीं है।
बाद में अपनी तेरह बीघा जमीन को रहनमुक्त कराने के लिए किशनाराम को राजस्थान हाईकोर्ट, जोधपुर की शरण लेनी पड़ी। हाईकोर्ट ने अगस्त-2022 को सम्बन्धित तहसीलदार को आवश्यक कार्रवाई व किसान के प्रार्थना पत्र का निस्तारण करने का न्यायोचित आदेश पारित किया।
आदेश को लेकर
भटक रहा किशनाराम

किशनाराम ने सम्बन्धित जायल तहसीलदार के बाद डेह तहसीलदार व पटवारी के समक्ष प्रार्थना- पत्र पेश किया पर अभी तक कोई आवश्यक कार्रवाई नहीं हुई। बैंक का कहना है कि एनओसी एक बार जारी होने बाद दोबारा जारी नहीं होती। अब किशनाराम के समक्ष संकट यह भी है कि ना तो उसे जमीन की खातेदारी का अधिकार मिल रहा है ना ही कोई और बैंक ऋण दे रहा है।
इस तरह का प्रकरण अभी मेरे संज्ञान में नहीं आया है। इसको दिखवाकर जल्द से जल्द पीडि़त को राहत देने का पूरा प्रयास करूं गी।
हर्षिता मिड्डा, तहसीलदार, डेह, नागौर


हाईकोर्ट ने अगस्त -2022 को आदेश दिया था। पीडि़त आदेश के तहत जमीन को रहनमुक्त करवाने की मांग संबंधित अधिकारियों से कर रहा है, बैंक अथवा संबंधित अधिकारियों को जल्द कार्रवाई करनी चाहिए।
रामदेव पोटलिया, एडवोकेट, राजस्थान हाईकोर्ट, जोधपुर

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