गौरतलब है कि हाउसिंग बोर्ड ने ताऊसर रोड स्थित करीब 27 बीघा जमीन पर मकान बनाकर आवंटित करने के लिए मार्च-अप्रेल 2024 में ऑनलाइन आवेदन मांगे थे, जिस पर 1300 से अधिक आवेदन भरे गए थे, जिनसे हाउसिंग बोर्ड ने करोड़ों रुपए वसूले थे। हाउसिंग बोर्ड ने ‘मंडल का है यह सपना, सुंदर घर हो सबका अपना’ का स्लोगन दिया था। इसमें कुल 188 मकानों के लिए आवेदन मांगे गए, जिनमें मध्यम आय वर्ग-अ के 58 एवं मध्यम आर्य वर्ग-ब के 24 मकानों सहित आर्थिक दृष्टि से कमजोर आय वर्ग के 58 एवं अल्प आय वर्ग के 48 मकानों के लिए आवेदन मांगे थे।
विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली संदेह के घेरे में गौरतलब है कि ताऊसर रोड स्थित करीब 27 बीघा जमीन के मालिकाना हक से जुड़ा केस सुप्रीम कोर्ट में जीतने के बाद राजस्थान हाउसिंग बोर्ड ने मार्च-अप्रेल 2024 में लोगों को आवास बनाकर आवंटित करने के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे थे। यानी जमीन पर कब्जा करने वाले लोगों ने वर्षों पहले हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, लेकिन खारिज हो गई। अब दुबारा दूसरे नाम से अर्जी लगाकर स्टे लिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी समय रहते केवियट याचिका लगा देते तो हो सकता है स्टे नहीं मिलता। इसी प्रकार 8 जुलाई को अतिक्रमण हटाने के बाद हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों ने 27 बीघा जमीन पर जगह-जगह जो 9 सूचना बोर्ड लगाए थे, उन पर पुताई करने के बावजूद एफआईआर दर्ज करवाने के अलावा कोई कार्रवाई नहीं की।
यूडीएच मंत्री का दावा थोथा साबित 8 जुलाई को अतिक्रमण हटाने के बाद यूडीएच मंत्री झाबरसिंह खर्रा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि प्रकरण की जांच करवाकर वस्तुस्थिति जानकर इस पर उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी। आवासन मंडल की जमीन में से एक इंच भी जमीन कोई भी भूमाफिया कभी भी नहीं कब्जा सकता। ना ही किसी तरह से कोई व्यक्ति आवासन मंडल के भूखंड अवैध तरीके से प्राप्त कर सकता है। इसके बाद मंत्री 28 जुलाई को नागौर दौरे पर आए, तब उन्होंने पत्रिका से विशेष बातचीत में कहा कि शहर के ताऊसर रोड पर स्थित 27 बीघा जमीन पर हाउसिंग बोर्ड की योजना के तहत मकान आवंटित किए जाएंगे। मंत्री ने फिर कहा कि हाउसिंग बोर्ड की एक इंच जमीन किसी अतिक्रमी को नहीं लेने देंगे। उन्होंने कहा कि इस जमीन के मालिकाना हक को लेकर मामला पहले सुप्रीम तक जा चुका है, इसलिए अब अतिक्रमी चाहे कहीं भी जाएं, उन्हें कुछ मिलने वाला नहीं है। मंत्री ने कहा था कि हाईकोर्ट का स्टे जयपुर जाते ही वेकेंट करवाएंगे। लेकिन तीन महीने बाद भी स्टे वेकेंट नहीं हुआ।
आवेदकों की पीड़ा – हमें अधरझूल में लटका दिया मैंने नागौर में मकान लेने की उम्मीद के साथ राज्य सरकार के हाउसिंग बोर्ड की योजना में पांच लाख बीस हजार रुपए जमा करवाए थे, लेकिन सात महीने से हमारे पैसे अटके पड़े हैं। हमें जिस जमीन पर मकान देने का सपना दिखाया था, वहां भूमाफिया कब्जा कर रहे हैं और प्रशासन व हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी मूक दर्शक बने हुए हैं। हमारी मांग है कि जल्द से जल्द इस योजना को अमलीजामा पहनाकर आवेदकों को मकान दिए जाएं।
– श्रवण गहलोत, आवेदक, ताऊसर रोड हाउसिंग बोर्ड आवास योजना मैं नागौर में बैंक में नौकरी करता हूं। मेरे साथ अन्य दस जनों ने हाउसिंग बोर्ड की योजना में आवेदन करके रुपए जमा करवाए थे, लेकिन पिछले सात महीने योजना रामभरोसे है। मेरा नागौर में मकान नहीं है, इसलिए मैंने सरकारी योजना देखते हुए पैसे लगाए थे, लेकिन इसका हश्र निजी योजना से बुरा हो रहा है।
– रामेशवर, आवेदक, नागौर प्रयास कर रहे हैं ताऊसर रोड हाउसिंग बोर्ड योजना की जमीन पर हाइकोर्ट की ओर से दिए गए स्टे को लेकर 25 नवम्बर को सुनवाई है। स्टे वैकेंट होने के बाद ही कुछ कर पाएंगे।
– जितेन्द्र माथुर, आवासीय अभियंता, हाउसिंग बोर्ड, नागौर