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अब नागौर नगर परिषद कचरे से करेगी कमाई

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नागौरApr 02, 2019 / 01:17 pm

Dharmendra gaur

अब नागौर नगर परिषद कचरे से करेगी कमाई

नागौर में लगेगा अपशिष्ट निस्तारण प्लांट , एजेंसी कचरे से बनाएगी खाद
पत्रिका एक्सक्लुसिव
धर्मेन्द्र गौड़ @ नागौर. नगर परिषद व शहरवासियों के लिए परेशानी का सबब बन चुका कचरा अब कमाई का जरिया बनेगा। शहर में ठोस तरल अपशिष्ट प्रबंधन की सुविधा नहीं होने से शहर का कचरा शहर के बाहरी क्षेत्र में डाला जा रहा है। अब अपशिष्ट निस्तारण को लेकर नगर परिषद व एक एजेंसी के बीच एमओयू की प्रक्रिया चल रही है। सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो आगामी दिवाली से पहले प्लांट पर काम शुरू हो जाएगा। ठोस कचरा प्रबंधन नहीं होने से बालवा रोड, बड़ली क्षेत्र, डेह रोड, मेला मैदान, स्टेडियम के सामने डम्पिंग यार्ड बन चुके हैं। शहर के बाहरी क्षेत्र में स्थित आवासीय कॉलोनियों में भी कचरा डाले जाने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
एसटीपी के पास लगेगा बड़ा प्लांट
जानकारी के अनुसार शहर में कूड़ा सेग्रीगेशन को लेकर नगर परिषद के साथ एमओयू के तहत एक कंपनी नगर परिषद के दायरे में संग्रहित कचरे से खाद बनाने के लिए बालवा रोड स्थित एसटीपी के पास प्लांट लगाएगी। इसके अलावा शहर में एक क्विंटल या इससे अधिक कचरा संग्रहण स्थानों पर छोटे प्लांट लगाएगी। इसमें एक प्लांट जड़ा तालाब के पास प्रस्तावित है। बड़े प्लांट में करीब दस टन खाद बनेगी वहीं छोटे प्लांट पर एक क्विंटल खाद बनाई जाएगी। पूरे प्रोजेक्ट पर करीब सवा करोड़ रुपए लागत आएगी। एमओयू के अनुसार एजेंसी नगर परिषद को खाद बनाकर देगी और नगर परिषद इसे बेचेगी।
निजी स्तर पर भी करेंगे पाबंद
शहर में एक क्विंटल से अधिक कचरा संग्रहण वाले निजी संस्थानों में भी छोटी मशीनें लगाने के लिए पाबंद किया जाएगा, ताकि शहर की सडक़ों पर कचरा नहीं डाला जाए। कचरा निस्तारण, रीसायक्लिंग, कचरे से ऊर्जा उत्पादन को कचरा प्रबंधन या वेस्ट मैनेजमेंट कहा जाता है। रीसायक्लिंग से कई उपभोक्ता वस्तुएं बाजार में दोबारा उपलब्ध हो जाती है जो कि प्राकृतिक संसाधनों के दोहन में कमी ला रही है। एल्युमिनियम, तांबा, स्टील, कांच, कागज और कई प्रकार के प्लास्टिकों की रीयासक्लिंग की जा सकती है। धातुओं की रीसायक्लिंग करने से मांग के अनुरूप कई वस्तुएं बाजार में उपलब्ध हो जाती है।
साबित होगा बेहतरीन कदम
कचरा प्रबंधन शहर के लिए एक बेहतरीन कदम साबित हो सकता है। कागज को रीसायकल कर कम से कम उतने और पेड़ों को तो कटने से रोका जा सकता है। कचरा निस्तारण में घरों से निकले आर्गेनिक कचरे को बायो कंपोस्ट और मिथेन गैस में बदल कर लोगों द्वारा उपयोग किए गए खाद्य पदार्थों का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित किया जा रहा है। मिथेन गैस जहां ऊर्जा का बेहतरीन स्रोत है वहीं जैविक खाद मिट्टी की ऊर्वरता को स्वाभाविक रूप से बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। यह किसानों की कृत्रिम खाद पर निर्भरता को भी कम करती है। जैविक खाद से बने उत्पादों की बाजार में अच्छी खासी कीमत मिलती है।

1.50 लाख है शहर की आबादी
45 वार्डों से होता है कचरा संग्रहण
1.25 करोड़ करीब आएगा खर्च


प्रोजेक्ट पर चल रही बात
शहर में निकलने वाले कचरे का निस्तारण करने के लिए एक एजेंसी के साथ एमओयू की प्रक्रिया चल रही है। आगामी कुछ महीनों में कचरे से खाद बनाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
जोधाराम विश्नोई, आयुक्त, नगर परिषद नागौर

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