सूत्रों के अनुसार सारणवास निवासी भीकू खां (42) मजूदरी का काम करता था। 29 फरवरी को सड़क हादसे में घायल हुआ और चार मार्च को जोधपुर स्थित मथुरादास अस्पताल में उसकी मौत हो गई। इसके बाद सहायता के लिए उसके परिजनों ने श्रम विभाग में आवेदन दाखिल कर दिया। हाल ही में मृतक की पत्नी रुखसाना के पास फोन आया, खुद को श्रम विभाग का कारिंदा बताते हुए कहा कि मुआवजे के रूप में दो लाख 35 हजार रुपए मिलेंगे, इसके लिए पंद्रह हजार रुपए दे दो। रुखसाना ने यह बात अपने भाई को बताई तो उसने यह रकम दे दी।
कुछ देर बाद फिर फोन आया, उसने कहा कि रुखसाना का पेन कार्ड लिंक नहीं है, सत्रह हजार रुपए और डालो। इसके बाद 17 हजार रुपए और दे दिए गए। कुछ देर बाद ठग का मोबाइल फोन ही बंद हो गया। खास बात यह रही कि ठग ने बातचीत के दौरान मृतक के परिजनों के मोबाइल पर यहां भरे गए आवेदन का फोटो तक डाला और इसमें किसी तरह की खामियां होने पर बताने को कहा था।
इधर, रुखसाना समेत अन्य परिजनों ने श्रम विभाग आकर पूछताछ शुरू की तो पता चला कि इस विभाग में कोई इस फर्जी नाम का नहीं है। यह किसी ठग की कारस्तानी है। भले ही यह ठग की कारस्तानी है पर श्रम विभाग में किसी मजदूर की मौत पर मुआवजे का आवेदन भरा गया, इसकी जानकारी उस तक कैसे पहुंची। यही नहीं उसका शातिराना अंदाज इस बात से ही पता चलता है कि उसने पूरे आवेदन की कॉपी परिजनों के मोबाइल पर डाल दी। श्रम विभाग अपने कारनामों से समय-समय पर चर्चा में आता रहा है। इस ठगी में किसी कर्मचारी की मिलीभगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
विदेश में नौकरी दिलाने का झांसा देकर 7.2 लाख की ठगी, तीन युवकों को विदेश भेजा और फिर…
साइबर एक्सपर्ट राकेश चौधरी का कहना है कि इस तरह की वारदात बढ़ रही है। ऐसे किसी भी मुआवजे/योजना के फायदे का झांसा दिया जा रहा है। इसके बाद साइबर ठगी हो रही है। ऐसे किसी भी कॉल से सावधान रहने की आवश्यकता है।