राजस्थान आर्थिक समीक्षा-2024 के अनुसार, ‘वर्तमान में तकनीकी शिक्षा की भारी मांग है। सम्भवत: इसीलिए एक वर्ष में 3 नए सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज खुले हैं। अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण 2020-21 के अनुसार पीएचडी में सबसे अधिक इंजीनियरिंग व प्रौद्योगिकी में विद्यार्थियों ने दाखिला लिया है।
नागौर इसलिए है प्रबल दावेदार राज्य में अब राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज की संख्या 17 से बढकऱ 20 हो गई है। नागौर शहर से पड़ोसी जिलों की इंजीनियरिंग कॉलेज की दूरी अधिक है। नागौर शहर बीकानेर, जोधपुर व अजमेर से 125 से 150 किलोमीटर की दूरी पर है, ऐसे में नागौर में युवाओं ने इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने की मांग तेज कर दी है। युवाओं का कहना है कि कोटा व भरतपुर संभाग के पुराने 8 में से 6 जिलों में इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। इसके विपरीत पश्चिमी राजस्थान में तुलनात्मक रूप से कम विश्वविद्यालय और इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, इसलिए क्षेत्रीय विषमता को दूर करने के लिए नागौर में विश्वविद्यालय और अभियांत्रिकी महाविद्यालय स्वीकृत किया जाना आवश्यक है, क्योंकि नागौर राज्य के मध्य में स्थित जिला है। नागौर जिला मुख्यालय से दोनों जिलों और पूरे राज्य में नेशनल हाइवे, स्टेट हाइवे और रेल मार्ग के माध्यम से कनेक्टिविटी है। अब ग्रीन फील्ड थार एक्सप्रेस-वे (जयपुर-नागौर-फलोदी) भी प्रस्तावित है।
युवाओं की बड़ी मांग आज नागौर का युवा जिला मुख्यालय पर विश्वविद्यालय और इंजीनियरिंग कॉलेज की कमी महसूस कर रहा है। पश्चिमी राजस्थान के केवल 3 शहरों (जोधपुर, बीकानेर व बाड़मेर) में यूजी व पीजी स्तर की इंजीनियरिंग शिक्षा उपलब्ध है, जबकि यह क्षेत्र प्रदेश के क्षेत्रफल का 60 प्रतिशत तथा जनसंख्या का 40 प्रतिशत क्षेत्र कवर करता है। इस क्षेत्रीय विषमता को दूर करने के लिए सरकार को जल्द ही नागौर में इंजीनियरिंग कॉलेज स्वीकृत करनी चाहिए।
– धर्मपाल बुगासरा, शिक्षक एक्सपर्ट कमेंट : नागौर में खुले इंजिनियरिंग कॉलेज नागौर में इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने के लिए हमनें राजस्थान किसान आयोग के अध्यक्ष सीआर चौधरी को पत्र सौंपकर मांग की है। क्षेत्रफल व जनसंख्या की दृष्टि से नागौर काफी बड़ा जिला है, इसके बावजूद नागौर के डेढ़ सौ किलोमीटर के दायरे में कोई इंजिनियरिंग कॉलेज नहीं है। जबकि प्रदेश में नागौर से छोटे कई जिलों में इंजिनियरिंग कॉलेज खोले गए हैं। इंजिनियरिंग के क्षेत्र में बड़ी संख्या में जिले के विद्यार्थी जा रहे हैं। यहां कॉलेज नहीं होने से उन्हें दूसरे जिलों में जाना पड़ता है। कॉलेज खुलेगा तो छोटे बच्चों में भी रुझान बढ़ेगा।
– डॉ. प्रेमसिंह बुगासरा, प्रोफेसर, राजकीय मिर्धा महाविद्यालय, नागौर