नागौर

ड्रेस कोड दिलाएगा नई पहचान

नागौर.राजस्थान पत्रिका एवं जिला प्रशासन की ओर से चल रहे अभियान के तहत शिक्षाधिकारियों ने शिक्षकों को बताए ड्रेस कोड के लाभ

नागौरMay 22, 2018 / 12:47 pm

Sharad Shukla

If the camp is going then how will it be studied

नागौर. शहर के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में सोमवार से शुरू हुए शिक्षकों के ग्रीष्मकालीन शिविर के दौरान राजकीय विद्यालयों में संस्था प्रधानों व शिक्षकों का ड्रेस कोड लागू करने को लेकर चर्चा हुई। शिक्षा अधिकारियों ने शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड की आवश्यकता तथा इससे स्कूल में आने वाले बदलाव से होने वाले लाभ के बारे में विस्तार से चर्चा की। शिविर में प्रारंभिक ब्लॉक शिक्षाधिकारी महिपाल सांदू ने कहा कि बच्चों के साथ विद्यालय के संस्था प्रधान व शिक्षक भी ड्रेस कोड में आएंगे तो निश्चित रूप से बच्चों में अच्छा संदेश जाएगा। इससे विद्यालयों में एक बेहतर शैक्षिक वातावरण का निर्माण होगा। स्कूलों में आज नामांकन अभियान चलाने पड़ रहे हैं। स्पष्ट है कि यदि स्कूलों में बच्चों का पर्याप्त नामांकन होता तो फिर इसकी आवश्यकता ही नहीं पड़ती। पर्याप्त नामांकन के अभाव में प्रदेश में कई स्कूलों को मर्ज कर दिया गया। इस स्थिति से बचना है तो शिक्षकों को खुद बदलाव के रास्ते पर चलना होगा। सर्वशिक्षा अभियान के अतिरिक्त जिला परियोजनाधिकारी गोपाल मीणा ने कहा कि निजी शिक्षण संस्थानों से मुकाबला करने के लिए उसी की तर्ज पर सरकारी विद्यालय को नए कलेवर में ढालना होगा। यह कार्य तभी हो सकेगा, जब शिक्षक खुद ही बदलाव की ओर अग्रसर होंगे। शिक्षकों को भी नामांकन अभियान से मुक्ति मिल जाएगी। शिविर प्रभारी अर्जुनराम चौधरी ने कहा कि डे्रस कोड के वह व्यक्गित रूप से पक्षधर हैं, क्योंकि यह प्रयोग पूर्व में उनकी ओर से किया गया था। इससे विद्यालय में नामांकन के साथ ही बेहतर शैक्षिक वातावरण बनाने में काफी मदद मिली थी। शिक्षकों के ड्रेस कोड में होने से उनकी एक अलग पहचान बनेगी। इससे उनको भी लाभ होगा। रमसा के गजानंद ने कहा कि ड्रेस कोड की पहल निश्चित रूप से सराहनीय है। शिक्षकों को भी इसे अपनाने से गुरेज नहीं करना चाहिए।

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