scriptइन लोगों की बल्ले-बल्ले! अब 10 हजार की जगह 20 हजार रुपए देगी राजस्थान सरकार | CM Bhajanlal Govt Big Gift Before Diwali Rajasthan Government Increased Amount For Camel Breeders | Patrika News
नागौर

इन लोगों की बल्ले-बल्ले! अब 10 हजार की जगह 20 हजार रुपए देगी राजस्थान सरकार

राजस्थान में कई नस्लों के ऊंट पाए जाते हैं। इनमें से मुय नाचना और गोमठ ऊंट हैं। नाचना नस्ल के ऊंट सवारी या तेज दौडऩे वाले होते हैं, जबकि गोमठ ऊंट कृषि संबंधी या भारवाहक के रूप में काम में लिया जाता है।

नागौरOct 16, 2024 / 11:56 am

Akshita Deora

Rajasthan Govt Schemes: ऊंट पालकों के लिए सरकार ने ऊंट पालन प्रोत्साहन राशि दस हजार से बढ़ाकर बीस हजार रुपए कर दी है। अब शिशु ऊंट के जन्म पर उसके एक वर्ष का होने तक की अवधि में 20 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। गत बजट घोषणा में ऊंट पालन को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने पिछले कई सालों से दी जा रही प्रोत्साहन राशि 10 हजार को बढ़ाकर 20 हजार करने की घोषणा की थी। बजट घोषणा के अनुरूप सरकार ने इसकी 15 अक्टूबर को प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी कर दी है।
प्रदेश ही नहीं, देश में भी ऊंटों की संख्या तेजी से घटने लगी थी। स्थिति यह थी कि सरकारी नीतियों के कारण पहले ही प्रदेश में हुई वर्ष 2012 की पशु गणना में राज्य में 3 लाख 25 हजार 713 ऊंट थे, वहीं 20 वीं पशु गणना में ऊंटों की संख्या घटकर 2 लाख 12 हजार 739 रह गई। प्रदेश में ऊंटों की संख्या एक लाख 12 हजार 974 कम हो गई। इसका कारण बताते हैं कि पूर्व में ऊंट पालन के लिए मिल रही प्रोत्साहन राशि महज 10 हजार की राशि अपर्याप्त थी। इससे डेढ़ से दोगुना ज्यादा ऊंट पालकों का शिशु ऊंट के जन्म होने के साथ ही एक वर्ष के पालन तक में ही व्यय हो जाता था। ऐसे में इसको लेकर प्रदेश के विभिन्न जिलों से ऊंट पालकों की ओर से प्रोत्साहन राशि को बढ़ाने का अनुरोध किया जा रहा था। अब सरकार की ओर से शिशु ऊंट के जन्म पर प्रोत्साहन राशि दोगुनी होने से उम्मीद की जा रही है कि ऊंटों के कुनबों में इजाफा होगा।
यह भी पढ़ें

जेवराती सोने के भाव में गिरावट, सोयाबीन और धान रहा मंदा, देखें कोटा मंडी भाव

ऊंटों की यह होती हैं प्रजातियां


राजस्थान में कई नस्लों के ऊंट पाए जाते हैं। इनमें से मुय नाचना और गोमठ ऊंट हैं। नाचना नस्ल के ऊंट सवारी या तेज दौडऩे वाले होते हैं, जबकि गोमठ ऊंट कृषि संबंधी या भारवाहक के रूप में काम में लिया जाता है। इसके अलावा अलवरी, बाड़मेरी, बीकानेरी, कच्छी, सिंधु, मेवाड़ी और जैसलमेरी ऊंट की नस्लें भी राजस्थान में मिलते हैं।
rajasthan

इस तरह से घटता गया ऊंटों का कारवां


वर्तमान में देश में ऊंटों की संख्या कुल 2 लाख 51 हजार 956 रह गई है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 1977 में 11 लाख, 1982 में 10 लाख 80 हजार, 1987 में 10 लाख, 1992 में 10 लाख 30 हजार, 1997 में 9 लाख 10 हजार, 2003 में 6 लाख 30 हजार, 2007 में 5 लाख 20 हजार, 2012 में चार लाख, 2019 में की 2 लाख 50 हजार रह गए हैं।
यह भी पढ़ें

राजस्थान से ज्यादा पड़ोसी राज्य में मिल रही बुजुर्गों को पेंशन राशि, हरियाणा में 3000 और दिल्ली में 2500 हजार

हालांकि ऊंटों की घटती संख्या से चिंतित पूर्ववर्ती सरकार ने वर्ष 2014 में ऊंट को राज्य पशु का दर्जा दिए जाने के साथ ही ऊंटों के संरक्षण के लिए योजना भी चलाई, लेकिन इसमें तमाम विसंगतियों की वजह से यह पूरी तरह सफल नहीं हो पाई। ऊंट पालकों का मानना है कि इसके पीछे अन्य भी कारण हैं। इसमें चारागाहों की कमी, ऊंटों में प्रजनन की कमी, युवा वर्ग का ऊंट पालन में रुचि नहीं ले रहा है, ऊंटों का संरक्षण होने के बजाए उन्हें नुकसान ज्यादा हुआ है। इसका कारण यह है कि पहले ऊंट बीमार होने या बूढ़ा होने पर उसे बेचना आसान था। उसे राज्य से बाहर भी भेजा जा सकता था। ऊंट का चमडा अच्छी कीमत देता था। अब यह सब संभव नहीं है। ऐसे में ऊंट बूढ़ा या बीमार हो जाता है वह ऊंटपालक के लिए बड़ा बोझ बन जाता है। यही कारण है कि ऊंटपालक अब ऊंटों के प्रजनन में ज्यादा रुचि नहीं लेते हैं।

Hindi News / Nagaur / इन लोगों की बल्ले-बल्ले! अब 10 हजार की जगह 20 हजार रुपए देगी राजस्थान सरकार

ट्रेंडिंग वीडियो