समस तालाब की पाल के साथ ही कैचमेंट एरिया पर भी अवैध कब्जा
- भूमाफियाओं ने अवैध कब्जे की होड़ में तालाब की पाल के साथ ही इसके कैचमेंट एरिया को भी नहीं छोड़ा
-अवैध कब्जे की होड़ में सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों को कर दिया गया तार-तार
नागौर. प्राकृतिक रूप से जलस्रोतों में शामिल समस तालाब के साथ ही इसके कैचमेंट एरिया में जहां-तहां पक्के निर्माणों ने इस तालाब का काफी हिस्सा निगल लिया है। अतिक्रमियों ने इसके एरिया में कई जगहों पर पक्के निर्माणों के तौर पर अवैध रूप से भवनों को खड़ा कर लिया है। हालांकि करीब चार साल पूर्व में उपखण्ड अधिकारी रहे दीपांशू सागवान ने अतिक्रमित जगहों में से कुछ को चिह्नित कर उनको तोड़वाया था। इससे यह संदेश गया था कि जल्द ही यह पूरा तालाब एवं इसका कैचमेंट एरिया अवैध कब्जे से मुक्त हो जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। बाद में फिर से स्थिति वही हो गई है। यहां पर हुए अवैध रूप से पक्के निर्माणों में पहले उंगलियों पर गिने जा सकते थे, लेकिन अब यह संख्या दर्जनों में पहुंच चुकी है।
भूमाफिया निगल रहे समस तालाब
सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे की लगी होड़ में भूमाफियाओं ने अब समस तालाब को भी निगलने का काम तेज कर दिया है। अवैध कब्जों की फेरहिस्त में शामिल तालाब की पाल से लेकर यहां की अंगोर तक की भूमि को भी अतिक्रिमियों ने नहीं छोड़ा है। हालांकि पूर्व में एक मामले में सर्वोच्च न्यायालय तक ने तालाबों, पोखर एवं गढ़ही व पहाडिय़ां आदि को उनके मूल स्वरूप से संरक्षित करना जरूरी माना है। इसके बाद भी अवैध कब्जे की होड़ में खत्म हो रहे समस तालाब को बचाने की प्रति प्रशासन बेपरवाह बना हुआ है।
कैचमेंट एरिया को भी नहीं छोड़ा
परंपरागत प्राकृतिक जलस्रोतों में शामिल तालाब क्षेत्र की सरकारी जमीनें खतरे में हैं। जमीनों पर अतिक्रमियों की नजरें टेढ़ी हो चुकी है। अतिक्रमियों ने अपने जाल में शहर के प्रमुख स्थलों पर मौजूद सरकारी भूमि यानि की केचमेंट एरिया के साथ ही तालाबों की पाल तक को ले लिया है। इसी वजह से प्रमुख तालाबों का मूल स्वरूप न केवल बिगड़ चुका है, बल्कि अब काफी सिकुड़ भी चुका है। यह स्थित तब है जब की सर्वोच्च न्यायालय तक ने तालाब, पोखर, गढ़ही, नदी, नहर, पर्वत, जंगल और पहाडिय़ां आदि की सुरक्षा करना जरूरी माना था।
समस तालाब के चारों ओर कब्जे
अवैध कब्जे की होड़ में समस तालाब के चारों ओर देखने से स्पष्ट नजर आ जाता है कि इसके काफी बड़े भूभाग पर अवैध कब्जा हो चुका है। वन विभाग के साथ ही गांधी चौक की ओर आने वाले रास्ते के अलावा इस तालाब को देखे जाने पर कई जगह यह जमीन कम होने के कारण इसका मूल स्वरूप लगभग खत्म हो चुका है। हालांकि प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही अवैध रूप से कब्जों की जांच कर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे, लेकिन कब, यह सवाल पूछे जाने पर जिम्मेदार चुप्पी साध लेते हैं।
प्रावधान होने के बाद भी कार्रवाई नहीं कर रहा प्रशासन
भू-राजस्व अधिनियम की धारा-91 के मुताबिक यदि पटवारी की मौका रिपोर्ट के आधार पर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण पाया जाता है तो पहली बार में अतिक्रमी के खिलाफ नियमानुसार बेदखली की कार्रवाई की जाती है। यदि तीसरी बार अतिक्रमण करने की पुष्टि होती है तो अतिक्रमी को तीन माह की साधारण सजा हो सकती है। इस मामले में तहसीलदार और नायब तहसीलदार को धारा 91 के तहत यह अधिकार है। यह प्रावधान होने के बाद भी प्रशासन की ओर से इसका उपयोग बिलकुल नहीं किया जा रहा है। इस प्रावधान की पालना की जाती तो निश्चित रूप से तालाब क्षेत्र के काफी बड़े भूभाग भूमाफियाओं के जाल से मुक्त हो सकते हैं।
इनका कहना है…
प्रतिबंधित एरिया के साथ तालाब क्षेत्र के कैचमेंट एरिया में अवैध कब्जे हुए हैं तो फिर राजस्व अधिनियम के अनुसार इस पर कार्रवाई भी की जाएगी। जल्द ही इसकी जांच के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
हरदीप सिंह, तहसीलदार नागौर
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