शहीद डिप्टी कमांडेंट विकास सिंघल का पार्थिव शरीर छत्तीसगढ़ से हेलीकॉप्टर में दिल्ली पहुंचने के बाद दिल्ली से सड़क मार्ग हाेते हुे मुजफ्फरनगर स्थित शहीद के पैतृक घर पचेंडा लाया गया। पार्थिव शरीर के पहुंचते ही पूरे क्षेत्र में विकास सिंघल अमर रहे और जब तक सूरज चांद रहेगा विकास तेरा नाम रहेगा के नारे गूंज उठे। जनपद के इस लाल को देखने के लिए ग्रामीणों की भीड़ और जनप्रतिनिधि के अलावा जिला प्रशासन मौजूद रहा। राजकीय सम्मान के साथ शहीद को अंतिम विदाई दी गई।
जवान की शहादत पर श्रद्धांजलि देने वालों में गन्ना मंत्री सुरेश राणा उत्तर प्रदेश सरकार में कौशल विकास मंत्री कपिल देव अग्रवाल, बुढ़ाना विधायक उमेश मलिक, खताैली विधायक विक्रम सैनी के साथ-साथ मुज़फ्फरनगर की जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक यादव ने नम आंखों से शहीद को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। शहीद विकास सिंघल की पत्नी ने पति के शहीद होने पर उनके बटालियन पर सवालिया निशान खड़े करते हुए आरोप लगाए कि विकास की जान अपने साथियों को बचाने में गई है. अगर विकास को समय से उपचार मिल जाता तो उसकी जान बच सकती थी. शहीद की पत्नी पारुल सिंघल ने कहा कि अगर मौका मिला तो सीआरपीएफ में जाकर नक्सलवाद के खिलाफ जंग लडूंगी और अपने पति की मौत का बदला लूंगी।
शहीद डिप्टी कमांडेंट विकास सिंघल पुत्र रविन्द्र सिंघल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव पचेंडा कलां से करने के बाद मुजफ्फरनगर के डीएवी कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की थी. शहीद विकास ने पढ़ाई पूरी करने के बाद तीन वर्ष तक डीएवी कॉलेज में बतौर प्रोफेसर के पद पर तैनात रहे. उसके बाद उन्होंने भारतीय सेना में जाने का फैसला लिया। वह मध्य प्रदेश के सीआरपीएफ की 2008 कोबरा बटालियन में थे. वर्तमान में उनकी तैनाती छत्तीसगढ़ के सुकमा मे थी । कुछ दिन पूर्व विकास सिंघल और उनके साथी नक्सली क्षेत्र में गश्त पर निकले थे तभी एक आत्मघाती हमले में विकास सिंघल और उनके 9 साथी घायल हो गए जिनमें एक जवान मौके पर शहीद हो गया था. बाकी सभी जवान गंभीर रूप से घायल हो गए थे. सभी काे उपचार के लिए आर्मी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. जहां रविवार देर रात विकास सिंघल भी शहीद हो गए. शहीद विकास सिंघल के पिता मुजफ्फरनगर के दतियाना प्राइमरी स्कूल में शिक्षक के पद पर तैनात हैं।
शहीद विकास सिंगल ने डीएवी कॉलेज से बीएड करने के बाद प्रोफेसर के पद पर कुछ समय तक छात्र छात्राओं को शिक्षा दी और उसके बाद उनका चयन सीआरपीएफ में हो गया। विकास सिंघल ने आठ वर्ष पूर्व प्रेम विवाह किया था. शहीद विकास सिंघल अपने पीछे माता पिता एक भाई और एक बेटा बेटी को छोड़ गए हैं। विकास सिंघल लगभग छह महीने पहले छुट्टी पर घर आए थे यहां उन्होंने परिवार और ग्रामीणों के साथ एक महीने की छुट्टी बिताई थी और फिर वापस अपनी पोस्ट पर लौट गए थे।
शहीद की अंतिम विदाई के बाद गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने शहीद के परिवार को 50 लाख की सहायता राशि का चेक देते हुए परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और गांव में शहीद के नाम से मार्ग बनाने की घोषणा की. शहीद की पत्नी पारुल सिंघल ने विकास के शहीद होने पर विकास की बटालियन पर सवालिया निशान खड़ा करते हुए कहा कि साथियों को बचाते हुए विकास शहीद हुए हैं। विकास ने खुद को शहीद हाेकर अपने12 साथियों की जान बचाई है. उत्तर प्रदेश सरकार ने मुआवजा तो दिया है लेकिन विकास के चले जाने से इसकी भरपाई नहीं होगी अगर सरकार मुझे नौकरी देगी तो वह अपने बच्चों को लिए करेगी. विकास के जाने से उसका सब कुछ खत्म हो गया.