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मामला जनपद मुजफ्फरनगर की नगर पालिका परिषद का है। यहां पालिका कार्यालय में उस समय अफरा तफरी मच गई, जब सिटी मजिस्ट्रेट अतुल कुमार नगर पालिका में जांच पड़ताल के लिए पहुंचे, जिसमें जांच पड़ताल के दौरान सिटी मजिस्ट्रेट को कई फाइलों में गड़बड़ी नजर आई तो सिटी मजिस्ट्रेट ने नगर पालिका के लेखा अधिकारी से कैशसबुक मांग ली, जिसके बाद लेखा अधिकारी ने कैशसबुक नगर पालिका परिषद की चेयरमैन के घर होने की बात कही तो सिटी मजिस्ट्रेट ने पालिका परिषद की चेयरमैन के घर से लेकर आने को कह दिया। इसके बाद बाबू के साथ नगर पालिका परिषद की चेयरमैन अंजू अग्रवाल भी पालिका कार्यालय पहुंच गई और सिटी मजिस्ट्रेट को कैश बुक देने से मना कर दिया। नगर मजिस्ट्रेट ने कानून का हवाला देते हुए पालिका परिषद की चेयरमैन को कैशबुक कार्यालय में रखने और उसमें लिखा-पढ़ी पूरी होने की बात कही तो नगर पालिका परिषद की चेयरमैन अंजू अग्रवाल आग बबूला हो गई।
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उन्होंने सिटी मजिस्ट्रेट अतुल कुमार पर जुबानी हमला शुरू कर दिया। इसमें नगर पालिका परिषद की चेयरमैन अंजू अग्रवाल ने मीडिया को जानकारी देते हुए जिला प्रशासन पर कई आरोप जड़ दिए। वहीं, नगर मजिस्ट्रेट अतुल कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि नगरपालिका में जांच के दौरान लगभग 20 से ज्यादा ऐसी फाइल पाई गई, जिसमें पेमेंट हेतु नगर पालिका चेयरमैन के तो हस्ताक्षर किए गए थे, जबकि लेखाधिकारी के उन फाइलों पर हस्ताक्षर मौजूद नहीं थे । गौरतलब है कि जिलाधिकारी ने चौदवें वित्त भुगतान हेतु एक समिति का गठन किया था और आदेश दिया था कि समिति के सत्यापन के बाद ही वित्तीय भुगतान रिलीज किया जाएगा, इसी मामले की जांच करते हुए नगर मजिस्ट्रेट को 20 से ज्यादा फाइलों पर पालिका चेयरमैन के तो हस्ताक्षर मिले, जबकि उन फाइलों पर लेखाधिकारी के हस्ताक्षर नहीं मिले, जिस वजह से नगर मजिस्ट्रेट ने जब लेखा लिपिक के हस्ताक्षर के बिना पेमेंट रिलीज होने का संदेह हुआ तो उन्होंने कैशबुक मांगी, जिसके बाद नगर मजिस्ट्रेट को कैशबुक उपलब्ध नहीं कराई गई और उसी बीच नगरपालिका चेयरमैन भी उसी कक्ष में पहुंच गई। इसके बाद नगर पालिका चेयरमैन मंजू अग्रवाल ने सिटी मजिस्ट्रेट से कुछ ऐसे बेतुके अंदाज में बात की कि आप भी सुनकर हैरान रह जाएंगे आप भी सुनिए।
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जब इस बाबत नगर पालिका चेयरमैन से बात की गई तो उन्होंने सारे प्रकरण का ठीकरा कमीशन का शिगूफा छोड़कर दिया। नगर पालिका चेयरमैन ने कहा कि इस मामले में सिटी मजिस्ट्रेट ने जानकारी देते हुए बताया कि पूर्व में भी नगरपालिका की किसी मामले में इनके द्वारा जांच की जा चुकी है और उसी संबंध में आज भी सिटी मजिस्ट्रेट नगरपालिका पहुंचे थे। जांच पड़ताल के दौरान 20 से अधिक फाइलें ऐसी पाई गई है, जिसमें पेमेंट जारी करने के लिए नगर पालिका चेयरमैन के तो हस्ताक्षर मौजूद थे। मगर लेखाधिकारी के हस्ताक्षर उन फाइलों पर मौजूद नहीं थे, जिसके बाद उन्होंने जब कैशबुक मांगी तो कैशबुक दिखाने से इनकार कर दिया गया।