यह भी पढ़ें- आजम खान की जीत का खुला बड़ा राज, गठबंधन नेता भी हैरान दरअसल, 27 अगस्त 2013 को थाना जानसठ क्षेत्र के गांव कवाल में छेड़छाड़ का विरोध करने को लेकर मलिकपुरा निवासी दो ममेरे-फुफेरे भाईयों सचिन और गौरव की भीड़ ने पीट-पीटकर निर्मम हत्या किए जाने के बाद जिले में दंगा फैल गया था। 7 सितंबर 2013 को नगला मंदौड़ में इंटर कॉलेज के मैदान में हुई महापंचायत से वापस लौटते वक्त जनपद में दंगा भड़का था। अभियोजन पक्ष के मुताबिक, नंगला मंदौड़ में महापंचायत के दौरान 7 सितंबर 2013 को बवाल होने पर पूरे जिले में तनाव फैल गया था।
खेलो पत्रिका Flash Bag NaMo9 Contest और जीतें आकर्षक इनाम, कॉन्टेस्ट मे शामिल होने के लिए http://flashbag.patrika.com पर विजिट करें। इसके बाद लिसाढ़ गांव निवासी मोहम्मद सुलेमान ने 16 सितंबर को फुगाना थाने में रिपोर्ट दर्ज कराते हुए कहा था कि 7 सितंबर को शाम 6.30 बजे वह अपने परिवार के साथ घर पर ही मौजूद था। इसी बीच उसके गांव के ही रहने वाले प्रमोद मलिक, नरेन्द्र उर्फ लाल्ला, अनुज,अमित, ब्रह्म, बालिन्द्र, राजकुमार, सुरेन्द्र, ऋषिदेव, कृष्ण, राजेन्द्र, नीसू, संजीव, रविन्द्र, बिजेन्द्र, विरेन्द्र, मोहित, राजू, संजीव, काला, अजीत प्रधान, बबलू, सुनील, राजेन्द्र व बाबा हरिकिशन व अन्य 15-20 अज्ञात लोग हाथो में लाइसेंसी हथियार व अवैध तमंचे और तलवार आदि लेकर घर में घुस आए और धार्मिक भड़काऊ नारेबाजी करते हुए घर में रखे सभी जेवरात, कीमती सामान, नकदी व अन्य घरेलू सामान लूटकर ले गए।
यह भी पढ़ें- बड़ी खबर: छोटा हरिद्वार में नहाने पर लगी रोक, जानिए क्यों इस दौरान उसके परिवार के 16 सदस्यों ने जंगलों की तरफ भागकर जैसे-तैसे अपनी जान बचाई। उन्होंने रिपोर्ट में करीब 25 लाख रुपये की संपत्ति लूटने या आगजनी में नुकसान करने का आरोप लगाया था। एसआईटी ने उक्त आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी। इस मुकदमे की सुनवाई एडीजे-12 संजीव कुमार तिवारी की कोर्ट में हुई। अभियोजन पक्ष की ओर से मौके के तीन गवाह पेश किए गए। इस मामले में वादी समेत अभियोजन के तीनों गवाह अपने बयानों से मुकर गए हैं। जिसके बाद सबूतों के अभाव में 12 आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है।
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