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मुजफ्फरनगर

लॉकडाउन में ऐसा हो गया उद्योगों का हाल, मालिकों का छलका दर्द

फैक्ट्री मालिक की प्रशासन से गुहार, राहें करें असान

मुजफ्फरनगरMay 03, 2020 / 08:37 pm

Iftekhar

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गाजियाबाद. कोविड़ 19 वैश्विक महामारी के चलते देशभर में लॉकडाउन जारी है। लॉकडाउन को सफल बनाने के लिए जहां लोग अपने-अपने घरों में कैद हैं। वहीं, लॉकडाउन ने औद्योगिक इकाइयों की कमर तोड़कर रख दी है। मुजफ्फरनगर के औद्योगिक क्षेत्रों में पूरी तरह सन्नाटा पसरा हुआ है। दरअसल, जिले में कुल 23 लोग कोविड-19 से ग्रसित हुए थे, जिन्हें जिला प्रशासन ने मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज बेगराजपुर स्थित आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया था। 23 कोरोना संक्रमित मरीजों में से अब तक 9 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं, जबकि 14 मरीज अब भी आइसोलेट हैं। मगर जिस दिन से लॉकडाउन लागू हुआ था, उसी दिन से जनपद की सभी औद्योगिक इकाइयां पूरी तरह से बंद कर दी गई थी।

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जनपद में ज्यादातर पेपर मिल के साथ-साथ सरिया, एंगल और इंगट बनाने वाली फैक्ट्रीयां हैं। वहीं, कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या ज्यादा होने की वजह से जनपद को रेड जोन में रखा गया है। आपको बता दें कि पिछले सप्ताह जिला प्रशासन ने जनपद में आवश्यक औद्योगिक इकाइयों को चलाने के संकेत दिए थे। मगर कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने के चलते जिला प्रशासन ने अपना फैसला फिर वापस ले लिया था। अब फैक्ट्रियों के न चलने के कारण उन फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूरों की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है। फैक्ट्री चलाने और प्रोडक्शन के लिए कानून का पालन कर फैक्ट्री को चलाने के लिए इस वक्त कठिन मानते हुए उद्यमी फैक्ट्री चलाकर जोखिम उठाने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि लेबर का फैक्टी तक पहुंचने और वापस आना ही कठिन है।

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दूसरी ओर मजदूर भी अपने घरों में पुलिस की कार्रवाई उनकी नाराजगी की मुख्य वजह है। फैक्ट्री स्वामी अनिल कुमार सरिया फैक्ट्री के निर्माता ने बताया कि हमारी रोलिंग एंगल की फैक्ट्री है। उसमें सरिया पत्ती बनती है। लॉकडाउन के दौरान हमें इतना नुकसान हुआ है कि हम 2 साल में भी इसकी भरपाई नहीं कर पाएंगे। हमारा जिला रेड जोन में होने के बावजूद भी हमारी इंडस्ट्री का इस पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए, क्योंकि जो मैट्रियल हम बनाते हैं। उसे 500 टेंप्रेचर पर गर्म कर के रोल करते हैं। इतना ज्यादा टेंपरेचर होने के बाद करोना का कोई असर नहीं पड़ता, जिसमें सभी मजदूर और मालिक दोनों परेशान हैं। पास के ही गांव के लोग हमारी फैक्ट्री में काम करने आते हैं। प्रशासन का कहना है कि उनके लिए बस लगाई जाए, लेकिन हमें बस लगाने की जरूरत ही नहीं है, क्योंकि पास ही के गांव से हमारी फैक्ट्री के मजदूर काम करने आते हैं।

लॉकडाउन में कोई लॉयन फैक्ट्री चालू नहीं है। केवल कृषि से संबंधित फैक्ट्री ही चल रही है। लॉयन फैक्ट्री बंद होने से हम लोगों को बहुत नुकसानहो रहा है। हम सरकार से मांग करते हैं कि हमारी फैक्ट्री को चलाने की अनुमति दी जाए। पेपर मिल मालिक सुनील अग्रवाल ने बताया कि मेरी पेपर मिल की कई फैक्ट्री है। जानसठ रोड पर और मुजफ्फरनगर के रेड जोन में होने या इससे पहले ऑरेंज जॉन में होने से सरकार की तरफ से हम लोगों को किसी तरह की कोई मदद नहीं मिल रही है। लॉकडाउन में फैक्ट्री चलाने में बड़ी ही दिक्कत आ रही है। बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ट्रैक्टर चलाने के लिए सरकार की तरफ से हमें कोई विशेष प्रस्ताव नहीं मिल रहा है। बस लेटरबाजी हो रही है। आपस में यह लिख कर दो, वह लिख कर दो और जिन कर्मचारियों को हम बुलाना चाहते हैं और काम करना चाहते हैं। उन लोगों के लिए भी पास की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। मंत्री से भी इसके लिए हमने गुहार लगाई हैस लेकिन अभी तक प्रशासन की तरफ से कोई भी प्रस्ताव को लागू नहीं किया गया है। जिस तरह जिला प्रशासन ने हमें जो आदेश दिए हैं कि फैक्ट्री में सैनिटाइजर, सोशल डिस्टेंस का इंतजाम हो। इन सब का हम पूर्णरूप से पालन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इससे अलग जो भी प्रशासन ने नियम कानून बताएं हैं, हम उनको पूरा कर रहे हैं और आगे भी पूरा पालन करेंगे। लेकिन, फैक्ट्री चलाने के लिए अभी तक लिखित में ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया है, जिसके मुताबिक हम अपनी फैक्ट्री चला सकें। अगर कोई मजदूर फैक्ट्री में कोरोना से संक्रमित पाया जाता है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। यह जिम्मेदारी लेने के लिए भी प्रशासन कोई तैयार नहीं है।

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