सांसद तीन साल के दौरान अलवर संसदीय क्षेत्र में महज 34 लाख लागत के विकास कार्यों की अभिशंसा ही भिजवा पाए। वहीं तीन साल के सांसद को देय वेतन व भत्तों पर गौर करें तो यह राशि महंत चांदनाथ की ओर से संसदीय क्षेत्र के विकास कार्यों की अभिशंसा से कहीं ज्यादा पहुंचती है।
सांसद से मिले हुए भी लंबा अरसा बीत गया।
सांसद ने लोकसभा में ग्रीन एयरपोर्ट निर्माण, चम्बल का पानी लाने, भूजल में गिरावट, मेडिकल कॉलेज निर्माण समेत कई मुद्दों पर डिबेट की, लेकिन इनमें से एक भी कार्य शुरू नहीं करा पाए। सांसद ने लोकसभा में तीन साल के दौरान करीब 23 मुद्दों पर वाद विवाद में भाग लिया।
जवाब- सांसद महंत चांदनाथ से गत वर्ष करीब चार से पांच बार मुलाकात हुई। उनसे अंतिम मुलाकात सितंबर 2016 में हुई।
जवाब- अस्वस्थ होने के कारण वे कभी बोल पाने में सक्षम नहीं थे तो कभी बैठ पाने में।
सवाल– मुलाकात में सांसद से अलवर आने को कहा या नहीं?
जवाब- जब भी मुकालात हुई सांसद से अलवर आने को कहा। सांसद ने भी हर बार जल्द ही अलवर आने की बात कही।
जवाब- सांसद से मुलाकात के दौरान उनसे सांसद कोटे के उपयोग के लिए समिति बनाने की बात कही। या फिर एमएलए की अभिशंसा पर विकास कार्य स्वीकृत करने को कहा। हर बार उन्होंने कहा कि मैं खुद ही जल्दी अलवर आऊंगा और कार्य स्वीकृत करूंगा।
जवाब- पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने हर सांसद को अपने क्षेत्र में जाने को कहा है, एेसे में निर्णय उन्हें खुद करना है। पहले भी दो वर्ष पूर्ण होने पर भी उनसे अलवर आने को कहा था।
सांसद महंत चांदनाथ का स्वास्थ्य ठीक नहीं होने से अलवर जिले को कई योजनाओं का लाभ नहीं मिल सका है। अलवर जिले में अभी तक मेडिकल कॉलेज शुरू नहीं हुआ है। हाईस्पीड ट्रेन व एनसीआर जोन की योजनाओं का लाभ भी जिले को नहीं मिला है। केन्द्र में अलवर की समस्या रखने वाला कोई जिम्मेदार जनप्रतिनिधि नहीं है।
डॉ. राजीव सक्सेना, आईएमए अध्यक्ष
अलवर के सांसद ने हमारे जिले के लिए कुछ नहीं किया है। वे तो अलवर ही नहीं आ रहे हैं इसके आधार पर उन्हें त्यागपत्र दे देना चाहिए। अलवर जिले का विकास और तेज हो सकता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
हितेश गुर्जर, छात्रसंघ अध्यक्ष, रा. कला कॉलेज
सांसद कोटे से अलवर में कोई भी विकास कार्य नहीं हुआ है। तीन साल से जिला सांसद विहिन रहा है। अलवर में लम्बे समय से ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज अधर में लटका हुआ है। अलवर जिले की समस्या को केंद्र सरकार में रखने वाला कोई जनप्रतिनिधि नहीं है। इस कारण केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ अलवर जिले को नहीं मिल रहा है।
पुष्पराज शर्मा, महामंत्री, राजस्थान नर्सेज एसो.
चुनाव जीतने की बाद महंत चांदनाथ न तो एक भी दिन बहरोड़ विधानसभा में आए और न ही एक भी रुपया सांसद निधि से दिया, ना किसी से मिले। चांद नाथ द्वारा लोकतंत्र व क्षेत्र की जनता के साथ मज़ाक़ किया गया।
बलजीत यादव, बहरोड़
हम चाहते हैं कि सांसद महंत चांदनाथ जल्द स्वस्थ होकर अलवर लौटें। अस्वस्थता के नाम पर अलवर जिले के विकास की जिम्मेदारी से वे दूर नहीं रह सकते। यदि सांसद अस्वस्थ हैं तो उनकी पार्टी के लोग, केन्द्र व राज्य की सरकार, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री विकास की जिम्मेदारी को निभाएं। पिछले तीन साल में अलवर जिले में विकास का पहिया पूरी तरह थम गया है और वह 50 साल पीछे छूट गया है। तीन साल में भाजपा सरकार ने अलवर में एक भी गिनाने लायक कार्य नहीं कराया।
जितेन्द्र सिंह, पूर्व सांसद, अलवर
सांसद महंत चांदनाथ ने अलवर जिले को विकास में बहुत पीछे कर दिया है। वे न तो स्वयं अलवर आ रहे हैं और न ही अपने कोटे का विकास में उपयोग कर रहे हैं। इससे भाजपा की कथनी और कथनी में अंतर उजागर हो गया है। कांग्रेस सांसद की गैर मौजूदगी का सवाल सदैव उठाती रही है।
टीकाराम जूली, कांग्रेस जिलाध्यक्ष
जिले में सांसद कोटे की राशि ही खर्च नहीं हुई तो विकास प्रभावित होना लाजिमी है। पूर्व सांसद जितेन्द्र सिंह के समय कई बड़ी योजना व विकास कार्यों का जनता को लाभ मिला। वर्तमान सांसद तो जिले में ही बहुत कम आए हैं।
अशोक सैनी, डवलपर्स
अलवर में तीन साल से सांसद का नहीं आना दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे अलवर का विकास थम गया है। सांसद की गैर मौजूदगी से अलवर में शिक्षा जगत को हुए नुकसान की भरपाई नही की जा सकती है। अलवर में विश्वविद्यालय का काम रुका हुआ है।
रोहित चतुर्वेदी, छात्रसंघ अध्यक्ष, राजर्षि कॉलेज, अलवर
सांसद अलवर आ नहीं आ रहे हैं। अलवर का तो कोई धणी धोरी ही नहीं है। अलवर के विकास के लिए ऐसा सांसद चाहिए था जो अलवर की आवाज को संसद में जोरदार तरीके से उठाता। मौजूदा सांसद ने तो अलवर को कई दशक पीछे कर दिया है। इसको लेकर लोगों में रोष है।
विष्णु चावड़ा, संयोजक, मत्स्य विश्वविद्यालय संघर्ष समिति, अलवर
जब सांसद को भारी मतों से लोगों ने जिता कर भेजा था तो सोचा थाा कि अलवर के विकास को नई पहचान मिलेगी। यह नई पहचान तो छोडि़ए, पुरानी भी भूल गए। ऐसे सांसद को त्यागपत्र दे देना चाहिए।
मनीषा चौधरी, छात्रा संघ अध्यक्ष, जीडी कॉलेज, अलवर
सांसद तीन साल से अलवर नहीं आए हैं जिससे अलवर के विकास में रुकावट आई है। इसका जवाब युवा पीढ़ी को कोई देना वाला नहीं है। देश एक आेर विकास के नए आयाम स्थापित कर रहा है जबकि हम और पीछे जा रहे हैं।
शमशेर सिंह, जिला संगठन मंत्री, एबीवीपी अलवर