म्हाडा के सर्वे में नहीं थी ढही इमारत
अवैध रूप से बनाई गई इस इमारत का लेखा-जोखा बीएमसी के पास नहीं है। म्हाडा के पास भी इसकी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। वही हैरानी की बात यह है कि इसके समीप की बिल्डिंग को तो अति जर्जर घोषित कर म्हाडा की ओर से नोटिस जारी किया जाता है, लेकिन उसके समीप की बिल्डिंग केसरबाई मेंशन पर किसी की नजर नहीं पड़ी। सीएम देवेंद्र फडणवीस ने बिल्डिंग को 100 साल से ज्यादा पुरानी बताया, म्हाडा सर्वे में इसके पड़ोस में कोई निर्माण नहीं दिखाया गया है।
घायलों का जेजे अस्पताल में इलाज
डोंगरी की तांडेल स्ट्रीट में हुए हादसे में एक एक मासूम बच्चे को जीवनदान मिला है। वहीं मौके पर मौजूद अधिकारियों की माने तो सब के सहयोग से बच्चे को बचा लिया गया है। बच्चे को भी जेज अस्पताल भेजा गया था। मिली जानकारी अनुसार बच्चे को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है।
म्हाडा का साफ कहना है कि बिल्डिंग का गिरा हुआ हिस्सा उसके दायरे में नहीं है। म्हाडा के अनुसार, डोंगरी में 25/सी केसरभाई भवन ढहा नहीं है, वह आज भी जस का तस खड़ा है। चूंकि 2018 में इसे जर्जर घोषित कर, बोर्ड ने इस भवन के निवासियों को नोटिस देकर खाली करवाया था, जबकि इमारत अभी भी अच्छी कंडीशन में है। मंगलवार की दुर्घटना में 25/सी केसरभाई भवन का पिछला हिस्सा गिरा है, जिसे अनधिकृत रूप से बनाया गया था।
दोपहर में बच्चे अपनी मां के साथ भोजन कर रहे थे। अचानक आवाज आई तो सादिरा ने दोनों बच्चों को गोद में बिठा लिया। उस समय मैं बिल्डिंग के दूसरे हिस्से में था। हादसे में तीन महीने की बच्ची और तीन साल का बेटा बच गया, मगर सादिया अल्लाह को प्यारी हो गई, कुछ समझ नहीं आ रहा कि क्या करूं…।
निसार अली, पीडि़त
अचानक लगा, जैसे भूकंप आया हो, धूल ही धूल और देखते ही देखते इमारत पत्ते की तरह ढह गई। मेरी पैदाइश यहीं हुई है। जर्जर इमारत के एक हिस्से के लोगों को नोटिस जारी किया गया था। लेकिन, रहवासियों का कहना था कि मानसून में वे कहां जाएंगे। वहीं दक्षिण मुंबई में ऐसी कई इमारतें हैं। एक निजी डेवलपर की ओर से इसके पुनर्विकास का काम किया जाना था, जो मानसून के बाद शुरू होने की उम्मीद थी।
असलम पटेल, प्रत्यक्षदर्शी
मेरा जन्म मुंबई के डोंगरी में हुआ है। आर्थिक स्थिति सही होने के बावजूद यहां के लोग उसी स्थिति में रह रहे हैं। नया घर नहीं खरीद सकते, इसलिए लोग पुनर्विकास की सोच रहे थे। यह इमारत मनपा की है या म्हाडा की, यही तय नहीं हो पा रहा है, जबकि पानी और बिजली मिल रही है। यही कारण है कि सभी लोगों ने घर को खाली नहीं किया।
यह गंभीर मामला है। इसकी उच्च स्तरीय जांच कराई जानी चाहिए। अभी तक मुंबई में ऐसा पहला मामला सामने आया है। इस तरह के अन्य मामले भविष्य में उजागर न हों, इसके लिए गंभीरता से इस तरह की इमारतों की जांच की जानी चाहिए।
उदय सामंत, म्हाडा अध्यक्ष