इस मामले में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सार्वजनिक जगहों पर लोगों को थूकने और कचना फेकने से रोकने का कोई दूसरा तरीका नहीं है। इसी वजह से बीएमसी ने क्लीन अप मार्शल को काम पर रखा है। बीएमसी के पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
बता दें कि बीएमसी कोरोना काल में भी इन क्लीन उप मार्शलों को नियुक्त किया था। संबंधित वार्ड में नियुक्त प्रत्येक एजेंसी को 30 मार्शल नियुक्त करने का आदेश दिया गया है। एजेंसी को दिए गए एक महीने के अंतराल में सभी मार्शलों का पुलिस सत्यापन करवाना होगा। एजेंसी को एक साल का ठेका दिया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि मानदंडों का उल्लंघन करने पर एजेंसियों पर भी नजर रखी जाएगी और उन पर जुर्माना लगाया जाएगा।
बीएमसी ने सबसे पहले साल 2007 में क्लीन-अप मार्शल को नियुक्त किया था। बीएमसी को कई बार मार्शलों द्वारा उनके साथ किए गए दुर्व्यवहार की शिकायतें मिली हैं। इसके बाद साल 2011 में नगरसेवकों की मांग पर मार्शलों को बंद कर दिया गया था। इस बीच दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए बीएमसी को कोई दूसरा रास्ता नहीं मिला, इसलिए साल 2016 में मार्शलों को फिर से नियुक्त किया गया।