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किसानों के लिए कमाऊ पूत साबित हो रहीं स्वर्ण कपिला और देवमणि गायें

पशुपालन: बाढ़ में फसल बर्बाद, सता रही आजीविका की चिंताएक दिन में 20 लीटर तक दूध, महंगा बिकता है घी

मुंबईJul 31, 2021 / 07:48 pm

Chandra Prakash sain

सरकार देती है सब्सिडी, पशु किसान क्रेडिट कार्ड से खरीद सकते हैं गाय

सरकार देती है सब्सिडी, पशु किसान क्रेडिट कार्ड से खरीद सकते हैं गाय

ओमसिंह राजपुरोहित/ पुणे. महाराष्ट्र के कोंकण और पश्चिम महाराष्ट्र में बारिश और बाढ़ से खेतों में खड़ी फसल बर्बाद हो गई है। प्रभावित क्षेत्रों के हजारों किसान आजीविका को लेकर परेशान हैं। उन्हें चिंता सता रही कि परिवार का गुजारा कैसे होगा। जानकारों का कहना है कि पशुपालन किसानों को संकट से उबार सकता है। गिर नस्ल की स्वर्ण कपिला गायें कमाऊ पूत की तरह सहारा बन सकती हैं। इस नस्ल की गाय के दूध में सात प्रतिशत तक फैट (क्रीम) होता है। दूध तो सेहतमंद है ही, घी भी उम्दा माना जाता है। डायबिटीज और हाइ ब्लड प्रेशर आदि बीमारियों से पीडि़त मरीजों के लिए इन गायों का दूध टॉनिक समान है। जर्सी के मुकाबले इनके दूध की दो से तीन गुना कीमत (प्रति लीटर 70 रुपए) मिलती है। गिर नस्ल की गाय का घी 2000 रुपए किलो से कम नहीं बिकता। गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में ये गायें बहुतायत में मिलती हैं। ये ज्यादातर कत्थई-लाल और हल्के भूरे रंग की होती हैं। इन्हें काठियावाड़ी, भोडली, गुराती और देवमणि नाम से भी जाना जाता है।

ये हमें पाल रहीं
अंबेगांव के धीरज पाटिल पिछले साल राजस्थान की पथमेड़ा गौशाला से गिर नस्ल की पांच गायें लाए। उन्होंने बताया कि देसी नस्ल होने के कारण देखभाल की बहुत जरूरत नहीं पड़ती। आसानी से किसी भी आबोहवा में रह लेती हैं। सामान्य चारा देने पर भी औसतन अच्छी दूध देती हैं। एक गाय औसतन 20 लीटर दूध हर दिन देती है। पाटिल ने कहा, हम इन गायों की सेवा कर रहे हैं। हकीकत यह कि हम इन्हें नहीं, ये हमारे परिवार को पाल रही हैं।

दूध-मक्खन की मांग
धीरज की सफलता से पास-पड़ोस के किसान भी प्रेरणा ले रहे। गांव के ही दो दर्जन से ज्यादा किसान 100 से ज्यादा गायें ला चुके हैं। पशुपालक किशोर जाधव के पास सात गाय हैं। इनमें चार दूध दे रहीं जबकि तीन गर्भवती हैं। जाधव ने कहा कोरोना काल में इनके दूध-मक्खन की मांग बढ़ गई है। सुबह-शाम घर से ही दूध बिक जाता है। जर्सी के मुकाबले इनके दूध की ज्यादा कीमत मिलती है। बच्चों की पढ़ाई और परिवार के गुजारे की कमाई हो जाती है। साल भर में हम डेढ़ लाख कर्ज भी उतार चुके हैं।

ज्यादा तामझाम नहीं
गिर नस्ल की गाय को पालने के लिए ज्यादा तामझाम की जरूरत नहीं पड़ती। बारिश, धूप, ठंड और कीड़े-मकोड़ों, मच्छरों से बचाव के लिए शेड होना चाहिए। शेड में साफ-सफाई और पानी की सुविधा होनी चाहिए। ध्यान रखें इन्हें खुली हवा मिलती रहे। गोबर-मूत्र के निकासी व्यवस्था होनी चाहिए। गर्भवती गाय को चारा खिलाने में कमी नहीं करनी चाहिए। फलीदार चारे के साथ तूड़ी मिलानी चाहिए ताकि इन्हें अफारा या बदहजमी ना हो।

सरकार की पहल
केंद्र और राज्य सरकार पशु पालन को प्रोत्साहन देती हैं। चालू साल के लिए केंद्र सरकार ने नौ हजार करोड़ का बजट रखा है। इसके तहत किसानों को बिना गारंटी बैंकों से कर्ज मिलता है। पशु किसान क्रेडिट कार्ड से गायें खरीद सकते हैं। सरकारी सब्सिडी मिलती है। साथ ही कर्ज पर ब्याज दर कम होती है। गिर नस्ल की एक गाय एक लाख से पांच लाख रुपए तक में मिलती है। एक बार ब्यांत के बाद गिर गायें 1500 से 1700 लीटर दूध देती हैं।

कई खूबियां
स्वर्ण कपिला गाय सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। विदेशी नस्ल की गायों (जर्सी) की तुलना में गिर गाय का दूध सुपाच्य और सेहतमंद होता है। इसके साढ़े तीन लीटर ए-2 दूध में आठ ग्राम प्रोटीन होता है। इसमें मिलने वाला ए-1 कैसिइन प्रोटीन स्वास्थ्य के लिए विशेष गुणकारी है। इनका जीवन काल 12 से 15 वर्षों का होता है। इस दौरान एक गिर गाय छह से 12 बार बच्चे दे सकती है।

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