सुप्रीम कोर्ट ने आरे फॉरेस्ट में मेट्रो कार शेड लगाने के महाराष्ट्र सरकार के निर्णय पर रोक लगाने से मना कर दिया है। वहीं ट्री अथॉरिटी को 84 पेड़ काटने के आवेदन पर फैसला लेने की छूट प्रदान की है। पीठ ने कहा कि एमएमआरसीएल को 84 पेड़ काटने के लिए वृक्ष प्राधिकरण के समक्ष अपनी अर्जी को रखने की इजाजत दी जानी चाहिए। इसके साथ ही पीठ ने मेट्रो परियोजना के खिलाफ मुख्य अर्जियों पर अगले साल फरवरी में अंतिम सुनवाई निर्धारित की हैं।
बता दें कि इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट 7 अक्टूबर 2019 में स्वत: संज्ञान लेकर मामले में महाराष्ट्र सरकार का विश्वास दर्ज किया था कि भविष्य में कोई पेड़ अगली सुनवाई तक नहीं काटा जाएगा। लेकिन इस साल 5 अगस्त को कोर्ट ने मामले को अंतिम सुनवाई के लिए लगाया था। मौजूदा आवेदन में 84 पेड़ काटने की इजाजत मांगी गई, जो मेट्रो लाइन 3 के लिए है। पहले साल 2018 में ट्री अथॉरिटी की मंजूरी से 212 पेड़ काटे गए थे और अब 84 की मंजूरी सुप्रीम कोर्ट से मांगी गई।
एमएमआरसीएल ने 84 पेड़ काटने का आवेदन किया, जो शूटिंग सेगमेंट के लिए है। जबकि याचिकाकर्ता एनजीओ के लंबित आवेदन में आरे फॉरेस्ट एरिया में निर्माण रोकने की मांग की गई। एसजी ने बताया कि प्रोजेक्ट की लागत काफी बढ़ गई, जबकि 95 प्रतिशत परियोजना पूरी हो चुकी है। लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए यह सुप्रीम कोर्ट 84 पेड़ काटने की इजाजत दे दी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आरे फॉरेस्ट में मेट्रो कार शेड लगाने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले पर रोक लगाने से मना कर दिया और ट्री अथॉरिटी को 84 पेड़ काटने के आवेदन पर फैसला लेने की छूट प्रदान की।
वहीं, सेंट्रल गवर्नमेंट ने सीनियर वकील संतोष गोविंद राव चपलगावोंकर और मिलिंद मनोहर साथेय को बॉम्बे हाई कोर्ट का एडीशनल जज नियुक्त करने की अधिसूचना जारी की। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल द्वारा कोई और पेड़ नहीं काटे जाने के संबंध में हलफनामा दिए जाने के बाद अधिकारियों को और पेड़ काटने से मना कर दिया था। आरे कॉलोनी में पेड़ों की कटाई का पर्यावरणविद और वहां के निवासी जमकर विरोध कर रहे हैं।